इतवारी: देखत म छोटन लगे !

कभू कभू नानमुन उदीम बड़का बूता के फल ल सहज, सरल अउ सरस कर जाथे। अइसनेहे एक ठो छोटकुन घटना हे जउन मोर संग घटे हे अउ अब ले वो मोर मन के एक ठिन कोन्टा के खूँटी म झूलना झूलत टँगाए हवय। कोनो कोनो बेरा ओकर संग मोर नजर मिल जथे। फेर जब नजर मिलथे ओला मुस्कुरावत पाथवँ। ओकर मुस्कुरावत चेहरा ल देखके मैं अपन मुस्कुराहट के टोटा ल नइ मुरसेट सकवँ अउ कइसनोहो बेरा होवय मुस्कुराए बिना नइ रेहे सकवँ। दुनिया म तीन ठिन हठ होथे- बाल हठ,…

इतवारी: हसदेव आ मनीराम !!

रइपुर वनमंडल के अंतर्गत पिथौरा म एक झिन अंग्रेज वन अधिकारी के नियुक्ति होइस। वोह मनीराम ल बीटगार्ड के नौकरी म रखिस। मनीराम गोंड़ कुम्हारीमुड़ा गाँव के रहइया रिहिस हे। वोह अब्बड़ सुग्घर जेवन बनावय। ओकर हाथ के बनाए जेवन अंग्रेज अधिकारी ल अतका रूचगे कि जब वो इंगलैण्ड गिस त मनीराम ल तको अपन संग लेगे। उहाँ मनीराम ल बगवानी म सैगोन, जेला ‘प्लस ट्री’ कहे जाथे, ओकरे पेड़ के बीजा जगोए अउ पेड़ बनाए के ‘रुट शूट विधि’ सीखे के सुअवसर मिलीस। कुछ महीना पीछू उन लहुट के…

इतवारी: बासी ब्वाय !

गाँव म एक दिन शहर ले एक झिन लइका आइस। दिन बूड़गे राहय, ओकर आँखी ले चश्मा नइ उतरे रिहिस हे। मैं पूछ परेवँ – ‘यहा कम उमर म आँखी के अपरेशन होगे बेटा ?’ वोला कुछु नइ बोलत देखके बाजू म ठाढ़े संगवारी ले पूछ परेवँ- ‘भैरा-कोंदा घलो हे का जी ?’ संगवारी मन खलखला के हाँस भरिन- ‘नहीं गा, कान म ईयर फोन ठेंसाय हे, त काला सुनय।’ ओतका म वो लइका खखुवागे- ‘ये, काबर हाँसते हो, बइहा गए हो का ?’ मैं सफई देवँ – ‘नहीं बेटा…