विशेष लेख : कमार परिवार ह उच्‍च शिक्षा हासिल करके गढि़स विकास के नवा कहानी

समाज ल जागरूक करे बर पति-पत्नी करत हे सरलग उदीम

रायपुर, विशेष पिछड़ी जनजाति कमार ले ताल्लुक रखइया श्री गजेसिंह ह स्नातकोत्तर तक के उपाधि हासिल करके उच्‍च शिक्षा के क्षेत्र म नवा कहानी गढ़े हे। अतकेच नहीं, अपन समाज के मनखे मन ल नशामुक्त करे अउ शिक्षा ले जोड़े बर मजरा-टोला, मोहल्ला मन म सरलग बइठक लेके ओ मन ल जागरूक करे के सरलग उदीम करत हे। इहां तक कि अपन लइका मन ल ऊंचा शिक्षा देहे बर ओ मन ल महानगर म पढ़ावत हें।

आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड नगरी के ग्राम पंचायत गट्टासिल्ली के निवासी श्री गजेसिंह अऊ उंखर पत्नी श्रीमती उर्मिला मरकाम दुनों हिन्दी विसय म स्नातकोत्तर के उपाधि हासिल करे हें। हमर जानती म कमार जनजाति म ये अइसन उपाधि पवइया ये प्रदेश के इमन पहली दम्पति यें, जऊन हर समाज के पारम्परिक काम मन ल छोड़के अभावग्रस्त जीवन म घलोक शिक्षा प्राप्त करके अपन पांव म खड़े हो गए हें। ऊंखर मिहनत के फल रहिस कि अविभाजित रायपुर जिला के वो बेरा के कलेक्टर श्री डी.पी. तिवारी ह विशेष भर्ती नियम के तहत श्री गजेसिंह ल 1996 ले सहायक शिक्षक के पद म नियमित नियुक्ति प्रदान करिन। शिक्षक बने के बाद घलोक उमन अपन पढ़ाई जारी रखत स्नातकोत्तर तक के उपाधि पाईन। ओ मन अभी नगरी विकासखण्ड के कमार बाहुल्य ग्राम बिरनासिल्ली के प्री मैट्रिक छात्रावास म अधीक्षक के तौर म सेवारत हें।

नौकरी ले पहिली उमन जीवनयापन बर धमतरी के राइसमिल म दिहाड़ी मजदूरी अऊ रायपुर म कुली के घलोक काम करिन। इही बीच रंग-रंग के मनखे मन ले मेल-मुलाकात म पता चलिस कि अच्छा जीवन स्तर अऊ अच्छा संस्कार अउ सभ्यता सिरिफ शिक्षा ले ही हासिल करे जा सकत हे। तब ले उमन बिना पीछू मुड़के देखे आगू बढ़त रहिन। सरकारी नौकरी पाए के बाद ओ मन ल शिक्षित पत्नी के दरकार रहिस, जऊन कि ऊंखर समुदाय म मिलना मुस्‍कुल रहिस। अइसन म सामाजिक मर्यादा ल लांघके उमन गैर कमार समुदाय (गोंडवाना समाज) के शिक्षित युवती उर्मिला ले साल 1997 म बिहाव करिन। श्रीमती उर्मिला घलोक नगरी के प्री मैट्रिक अनुसूचित जनजाति छात्रावास म अधीक्षक (मूल पदस्थापना शिक्षक एल.बी.) के तौर म अपन जिम्मेदारी मन के बखूबी निर्वहन करत हें।

खुदे शिक्षित अउ आत्मनिर्भर होके अपन समुदाय ल प्रेरित अउ प्रोत्साहित करे बर श्री गजेसिंह अउ श्रीमती उर्मिला ह छुट्टि मन म कमार बाहुल्य मजरा-टोला मन म जाके समुदाय के सदस्य मन ल लगातार जागरूक करथें, शिक्षा के मानव जीवन म महत्व समझाए के संगें-संग मदिरापान के पारम्परिक बुराई ल खतम करे के उमन प्रयास करत हें। ये शिक्षित दम्पति के सफरनामा इन्‍हें खतम नइ होवय, भलुक इमन अपन लइका मन ल घलोक अच्छा अऊ ऊंचा शिक्षा देहे म कोनो कोर-कसर नइ छोड़े यें। श्री गजेसिंह के बड़े संतान 19 वर्षीय पुत्र खिमांशु मरकाम कांकेर म बीएससी (कृषि) म पहिली साल के परीक्षा बनेच नम्‍बर ले पास करे हे, उन्‍हें बेटी कु. तनिशा के हालेच म रायपुर के शासकीय आदर्श विज्ञान महाविद्यालय म दाखिला होए हे, जिहां वो हॉस्टल म रहिके डिग्री के पढ़ाई जारी रखही। उमन बताइन कि उंखर बेटी गणित, भौतिकी अउ रसायन विसय के संग कक्षा बारहवीं म 73 प्रतिशत अंक लेके पास होए हे अऊ आगू संघ लोक सेवा आयोग के परीक्षा देके देश के सर्वोच्च प्रशासनिक सेवा के हिस्सा बनना चाहत हे। ये प्रकार ले गजेसिंह ह प्रतिकूल परिस्थिति मन म खुद शिक्षक होके न सिरिफ अपन विद्यार्थी, परिवार ल, भलुक अपन समाज के मनखे मन ल ज्ञान के प्रकाश ले आलोकित करत हे।

ताराशंकर सिन्हा के लेख के छत्‍तीसगढ़ी अनुवाद – संजीव तिवारी

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