माडल गौठान के सवा एकड़ के बाड़ी ले महिला मन ह कमाइन एक महीना म 14 हजार रूपिया

  • पेण्ड्रीतराई माडल गौठान के बाड़ी म काम करत जागृति स्वसहायता समूह के महिला मन
  • एक महीना म डेढ़ कुंटल साग-भाजी के उत्पादन अऊ विक्रय करिन समूह के महिला मन ह

दुर्ग, पेण्ड्रीतराई म लक्ष्मी बीते 25 बछर ले रहत हे। वो ह इहां कोनो ल बाड़ी म साग-भाजी लगात नइ देखे रहिस। तीर-तखार के गांव मन म घलोक किसान साग-भाजी कभू नइ लगावंय। कुछ किसान जिमन बाहिर ले आके तीर के गांव मन म जमीन खरीदे हें, ओ मन जरूर साग भाजी के फसल लगावत हें। एखर चलते साग भाजी लेहे लक्ष्मी ल घलोक रोज बजार जाना परत रहिस, इहां मंडी ले सब्जि आवय अऊ ओ बिसावय। ये पइत ये सिलसिला टूट गीस। लक्ष्मी यादव अऊ ऊंखर स्वसहायता समूह जागृति स्व-सहायता समूह ह पेण्ड्रीतराई माडल गौठान ले लगे बाड़ी म साग-भाजी के उत्पादन शुरू करिस। बीज छिंचिन अऊ पौधा मन के रखरखाव शुरू करिन। अउ एक महीना के भीतरीच सवा एकड़ बाड़ी ले चउदा हजार रूपिया के साग भाजी बेच दीन। गांव म मंडी के साग-भाजी के संग उंखर साग-भाजी घलोक अब बिकत हे।
लक्ष्मी बिक्‍कट खुश हे वो अऊ उंखर समूह के महिला मन अलग-अलग प्रकार के साग-भाजी लगावत हें। ओ ह बताइस के पइसा मिलथे त खुशी तो होथे फेर ओखर से घलोक बढ़के खुशी होथे हे के हमर मेहनत रंग लावत हे। हमार लगाए बीज अब लहलहात हे। पहिली घर के काम-बुता के बाद समय बच जात रहिस। अब समय घलोक अच्छा कटत हे अऊ अच्छा आय घलोक हासिल करत हे। लक्ष्मी ह बताइस कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ह नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी के रूप म बड़ अच्छा योजना लाए हे जेखर माध्यम ले हमन ल अतका अच्छा काम मिले हे, हम सब बिक्‍कट खुश हवन।
जिला पंचायत सीईओ श्री गजेंद्र ठाकुर ह बताइस कि बाड़ी योजना ले कई प्रकार के लाभ हे। एखर से ग्रामीण महिला मन बर आत्मनिर्भरता के रद्दा खुलथे। परिवार बर अकतहा आय के जरिया खुलथे। कुपोषण ले लड़ाई म मदद मिलथे काबर के अब तक ग्रामीण क्षेत्र घलोक शहरी मंड़ी मन ले अवइया साग-भाजी उपर आधारित हो गए रहिस।

गवारफली, लौकी ले लेके लाल भाजी तक अउ खट्टा भाजी वैरायटी ले सजे हे इंकर बाड़ी- लक्ष्मी ह बताइस कि हमन ह घलोक गांव म नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी योजना बर आयोजित बैठक म हिस्सा लेन। बैठक म हमला बताए गीस के गांव म गौठान म बाड़ी मन के विकास घलोक करे जाही। एकर काम स्वसहायता समूह के महिला मन ल दे जाही। हमन ल बहुत खुशी होइस अऊ हमन ह काम सुरू कर देन। सबो प्रकार के बीज हमन बोंयेन अऊ सब म अच्छा फसल आईस। करीबन डेढ़ क्विंटल साग-भाजी हमन ह बेच डरे हन अऊ खुद घलोक एकर उपयोग करत हन। एला बेचे दूरिहा घलोक नइ जाना परत हे अऊ गांव म ही चौदा हजार रूपिया तक के लाभ ये महीना अर्जित कर लेहे हें। अभी गवारफली, बरबट्टी, सेमी, चनाभाजी, लाल भाजी, खट्टा भाजी, पालक, टमाटर, करेला, लौकी, भटा के फसल आ गए हे। बांचे के फसल तियार होवत हे।

घर म घलोक हे बहुत खुश- लक्ष्मी ह बताइस कि ये काम ल करे ले ओ मन ल बहुत खुशी मिले हे। हमन सुपोषण अभियान के बैठक मन म घलोक जाथन। इहां बतात हन के लइका मन ल खूब फल-सब्जी देवव, तरा-तरा के भाजी खवाओ। अब हमर खुद के बाड़ी हे अऊ इहां हर प्रकार के भाजी हे। विटामिन बर पालक भाजी हे। हीमोग्लोबिन बर लाल भाजी हे जइसन कि आंगनबाड़ी म बताए जात हे। हमर थाली म सबो प्रकार के भाजी अऊ साग-भाजी हे।

लउछरहा..