नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी के बने सहिन संचालन बर सरकार मांगत हे सुझाव

रायपुर, राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी के तहत गौठान समिति के संचालन बर अलग-अलग स्तर म सलाह लेहे जात हे। इही कड़ी म आज धमतरी जिला के कलेक्टर श्री रजत बंसल ह जिला के 57 ग्राम पंचायत मन के सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक, महिला स्वसहायता समूह के महिला मन अउ चरवाहा मन के संग संबंधित विभाग के अधिकारी मन के बैठक लेके गांव मन म गौठान समिति के संचालन बर उंखर से सुझाव आमंत्रित करे जात हे। विशेष तौर म छत्तीसगढ़ शासन के तरफ ले रायपुर ले आए राज्य स्तर के विशेषज्ञ ह फीडबैक लेवत हे। कलेक्टर ह बताइस कि जिला म ये प्रकार के कार्यशाला आयोजित करके फीड बैक लेहे जात हे।

जिला पंचायत के सभाकक्ष म आयोजित बैठक म गौठान समिति के गठन, संचालन, कार्यशैली अऊ अनुषांगिक क्रियाकलाप मन ल लेके प्रशिक्षण केन्द्र निमोरा रायपुर ले आए राज्यस्तरीय विशेषज्ञ श्री आनंद रघुवंशी, श्री विनय शील, श्री रजनीश अऊ डॉ. मनजीत कौर ह गांव वाले मन ले अलग-अलग स्तर म फीड बैक लेवत हें। एखर पहिली श्री शील ह ये स्पष्ट करिस कि सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरवा अऊ बाड़ी के विकास गांव वाले मन के उत्थान बर हे। ये योजना के तहत गांव वाले मन ल कोनो प्रकार के प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ नइ दे जाय। ये मां शासन के भूमिका सिरिफ सहयोगात्मक अऊ सुविधा प्रदाता के तौर म रइही अऊ गौठान समिति के सुचारू अऊ सफलतापूर्वक संचालन तक मार्गदर्शन देही, संगेच कई ठन सोपान म मदद करही। एकर संचालन गांव वाले मन बर, गांव वाले मन कोति ले स्थानीय स्तर म ही करे जाही।

इहां ये बताना जरूरी हे कि ये योजना के उद्देश्य मूलतः ग्राम्य परिवेश के जुन्ना व्यवस्था ल पुनर्जीवित करना हे। प्राचीनकाल म ग्रामीण जऊन प्रकार से बिना कोनो केमिकल फर्टिजाइजर या पेस्टिसाइड के मदद ले खेती करत रहिन, गोबर के संग्रहण घुरवा म करके ओखर से खाद तियार करत रहिन। उही क्रियाकलाप मन ल सुव्यवस्थित करके जैविक पद्धति ले खेती करके आत्मनिर्भर बनाए बर प्रदेश सरकार प्रयासरत हे।

बैठक म उपस्थित अधिकारी मन ह गौठान समिति के निर्माण, गठन, संचालन, समिति के सदस्य मन के चयन अऊ आय के कई ठन स्त्रोत मन के बारे म ग्रामीण जनप्रतिनिधि मन, सचिव मन, रोजगार सहायक मन अऊ संबंधित विभाग के अधिकारी मन ले विस्तारपूर्वक विचार-विमर्श करे गीस। राज्यस्तर ले उपस्थित अधिकारी मन ह बताइन कि हर एक जिला म ये प्रकार के कार्यशाला आयोजित करके फीड बैक लेहे जात हे। ये बेरा म गौठान म देवाए पशुशेड, चारा शेड, कोटना, वर्मी कम्पोस्ट पिट, घास के पैदावार, गौठान के घेराबंदी, पैरा के उपलब्धता अऊ परिवहन, समिति के सदस्य मन के चयन, रखरखाव, आय के स्रोत आदि के संबंध म समिति के महती भूमिका के संबंध म गांव वाले मन अउ मैदानी अधिकारी मन ले फीड बैक लेहे गीस।

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