उडि़या पढ़ई के फैसला वाले समाचार : हाई कोर्ट के पढ़व आर्डर

गाँव पोडिगाँव, डाकघर पोड़ीगाँव, पुलिस स्टेशन पुसौर, तहसील पुसौर, जिला रायगढ़ के रहवईया करीबन 81 बछर के प्रेम शंकर पंडा पिता स्व. श्री नागा पांडा, ह छत्‍तीसगढ़ उच्‍च न्‍यायालय, बिलासपुर म एक रिट याचिका (पीआईएल) नंबर 48, स्कूल शिक्षा विभाग (सचिव के माध्यम ले) छत्तीसगढ़ राज्य अउ अध्यक्ष / सचिव, छत्तीसगढ़ राज्य शिक्षा बोर्ड के विरूद्ध दायर करिस। जेमा याचिकाकर्ता बर वकील सुश्री हमीदा सिद्दीकी अउ उत्तरदाता / राज्य बर श्री सिद्धार्थ दुबे, उप सरकारी अधिवक्ता ह खड़ा होईस।

हाई कोर्ट के अंग्रेजी फैसला के मुताबिक कहे गए हे के याचिकाकर्ता ह ये अदालत म समाज हित के रूप म संपर्क करे हे, वो ह बिनती करे हे कि प्रतिवादी राज्य ल छत्तीसगढ़ राज्य शिक्षा बोर्ड म शिक्षा के प्राथमिक अऊ माध्यमिक चरण म उड़िया भाखा ल सामिल करे बर निर्देशित करे जाना चाही। याचिकाकर्ता येहू कहे हे के उड़िया भाखा ल बढ़ावा देहे बर राज्य ह उदीम कर सकत हे अऊ उड़िया भाखा म छात्र मन बर निबंध लेखन प्रतियोगिता मन के आयोजन कर सकत हे अऊ उड़िया भाखा म साइनबोर्ड, जगा मन के नाम लिखवा सकत हे। याचिकाकर्ता ह एखर ले अकतहा माननीय न्यायालय के समझ म जउन उचित होवय अइसे कोनो आन राहत देहे के मांग करे हे। याचिका म येहू बताए गए हे कि विद्वान याचिकाकर्ता ह 23.07.2016 के दिन शिकायत दर्ज करके पहिली प्रतिवादी / सरकार ल भेज देहे हे, जेकर एक प्रति संघेरे गए कागद P/1 के रूप म प्रस्तुत करे गए हे।

याचिकाकर्ता के विद्वान वकील ह बतात हे कि ओ अपन मांग ल पंजीकृत डाक ले भेजे हे, जेखर प्रमाण पत्र संघेरे गए कागद P/1 के पहिली पाना म चटका देहे हे। याचिकाकर्ता ये मामला म पाछू कई दशक ले, संघेरे गए कागद P/1 के दाखिल होए ले बहुतेच पहिली, सरलग सरकार ले अनुरोध करत रहे हे फेर सरकार ह कोनो सकारात्मक प्रतिक्रिया नइ दीए हे अऊ इही खातिर ओ ह ये रिट याचिका प्रस्तुत करे हे।

राज्य के प्रतिनिधित्व करइया विद्वान वकील श्री सिद्धार्थ दुबे के कहना हे कि बिक्‍कट उदीम करे बाद घलव, संघेरे गए कागद P/1 के पता नइ लगाए जा सके हे अऊ ये संबंध म येला खोजवाए के फेर कदम करे जात हे। ऊंखर कोति ले ये आश्वासन दे गीस अऊ दावा करे गीस कि सक्षम अधिकारी निश्चित रूप ले संघेरे गए कागद P/1ल देखही अऊ उचित आदेश पारित करही। ये घलोक कहे गीस कि याचिकाकर्ता, कहूं चाहय त एक पूरक विरोध-पत्र घलोक दायर कर सकत हे।

मुख्य न्यायाधीश पी. आर. रामचंद्र मेनन अऊ न्यायाधीश पार्थ प्रीतम साहू ह ये पीआईएल म निर्णय करत कहिन के उपर देहे गए परिस्थिति मन ल बिचार करत हम संघेरे गए कागद P/1 अऊ अनुपूरक विरोध-पत्र ल देखे बर पहली सरकार ल निर्देश देहे वाले रिट याचिका के निपटान करत हवन। याचिकाकर्ता के तरफ ले कोनो अऊ अनुपूरक नुमाइंदगी कहूं आज ले 15 दिन के भीतर दायर करे जात हे जेमा मांगे गए राहत के संबंध म, याचिकाकर्ता या ओखर प्रतिनिधि ल सुनवाई के अवसर देहे के बाद, कानून के मुताबिक उचित आदेश पारित करे जाही। ये अनुपूरक विरोध-पत्र फैसला के प्रमाणित प्रति मिले के तारीक ले तीन महीना के भीतर दाखिल होना चाही।

कोर्ट आर्डर के भाव ल छत्‍तीसगढ़ी म समझाए बर संजीव तिवारी के द्वारा ये छत्‍तीसगढ़ी भावानुवाद करे गए हे। कोनो विवाद के स्थिति में माननीय उच्‍च न्‍यायालय छत्‍तीसगढ़, बिलासपुर के द्वारा जारी आदेश के अंग्रेजी प्रति ही मान्‍य होही।

कोर्ट आर्डर के ये वेब प्रति हमला श्री अनुपम सिंह, बिलासपुर ह उपलब्‍ध कराईस तेकर बर उनला धन्‍यवाद.

लउछरहा..