गौठान बनिस ग्रामीण आर्थिक विकास के धुरी, एखर बर अलग-अलग प्रकार के आजीविका मूलक गतिविधि घलोक गौठान म होही संचालित

  • अमलीडीह अऊ ढौर के माडल गौठान देखिन प्रमुख सचिव ह, व्यवस्था ले होइन संतुष्ट, कहिन कि ग्रामीण सहभागिता ले करव काम, इंकर फीडबैक ले अऊ बनेच आही नतीजा
  • नरवा-गरवा-घुरूवा-बाड़ी सरकार के फ्लैगशिप योजना, क्रियान्वयन म लापरवाही होही त होही सख्त कार्रवाई
  • जनपद पंचायत पाटन म लीन बैठक
  • नरवा बर बने भनपुरी (आर) ले चुलगहन प्रोजेक्ट के माध्यम ले समझाईन नरवा प्रोजेक्ट के बारीकी

दुर्ग, पंचायत अऊ ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री सुब्रत साहू ह आज पाटन ब्लॉक के ग्राम अमलीडीह अऊ ढौर स्थित मॉडल गौठान के निरीक्षण करिन। संगेच उमन जनपद पंचायत सभागार म अधिकारी मन के बैठक घलोक लीन। बैठक म उमन कहिन कि मैं ह अभी अमलीडीह अऊ ढौर म गौठान के व्यवस्था देखे हंव। इहां मवेशी मन बर बने व्यवस्था करे गए हे। अवइया कुछ दिन म सबो स्वीकृत गौठान बने सहिन काम करे के दिशा म युद्धस्तर म काम करव। सबो गौठान के व्यवस्था बर नियुक्त नोडल अधिकारी नियमित मॉनिटरिंग करव। ये संबंध म कोनो प्रकार के लापरवाही आए म कड़क कार्रवाई करे जाही। निरीक्षण के समय अऊ बैठक म कलेक्टर श्री अंकित आनंद अऊ जिला पंचायत सीईओ श्री कुंदन कुमार घलोक उपस्थित रहिन।

आउट ऑफ बॉक्स आइडिया म करव काम, अलग-अलग प्रकार के रोजगार मूलक गतिविधि सबो गौठान म चालू कराव– श्री साहू ह कहिन कि गौठान म वर्मी कम्पोस्ट आदि के उत्पादन के संगेच स्वसहायता समूह मन बर आन गतिविधि घलोक चालू करव। उदाहरण बर अमलीडीह गौठान के बारे म उमन कहिन कि इहां के डबरी के गहरीकरण करके मछलीपालन या बतख पालन करे जा सकत हे। कलेक्टर श्री अंकित आनंद ह कहिन कि अपन गौठान के नजदीकी परिवेश के जरूरत के मुताबिक आजीविका मूलक गतिविधि चालू करव। एखर बर बाजार के चिन्हारी घलोक कर लेवव।

रिज टू वैली कांसेप्ट म करव काम, जल संरक्षण सबले जरूरी– श्री साहू ह कहिन कि नरवा योजना के सफलता बर जगा के चिन्हारी अऊ एखर बाद तकनीकी बारीकी मन के ध्यान रखना जरूरी हे। प्रोजेक्ट ले सबसे कम लागत म सबले जादा मनखे मन के लाभ होवय। उमन कहिन कि ये योजना म जल के एक-एक बूंद के संरक्षण अहम हे। प्रोजेक्ट बर इसरो मैप जइसे टेक्निकल डिटेल के संगेच गांव के बुजुर्ग मनखे मन के अनुभव के लाभ घलोक उठाव। जुन्ना मनखे मन ल प्राकृतिक ड्रेनेज सिसटम के बनेच जानकारी होथे। ऊंखर अनुभव के घलोक लाभ लेवव। श्री साहू ह कहिन कि स्थानीय साधन मन ले सबसे कम लागत म अइसन स्ट्रक्चर बनाये जा सकत हे जऊन टिकाऊ होही अऊ जेकर से भूमिगत जल के रिचार्ज के अहम जरूरत पूरा होही।

गुलमर्ग के उदाहरण ले समझाईन बात– श्री साहू ह कहिन कि जलसंरक्षण बर पानी के गति कम होना जरूरी हे अऊ इही म नरवा के कांसेप्ट आथे। छोटे-छोटे स्ट्रक्चर बनाके, जेकर बर संसाधन बहुतेच कम लागत म प्राकृतिक परिवेश ले ही लाये जा सकत हे, ए माध्यम ले पानी के वेग ल थामे जा सकत हे। उमन अपन गुलमर्ग यात्रा के उदाहरण दीन। उमन बताइन कि श्रीनगर ले गुलमर्ग जात खानी ऊंखर ड्राइवर ह एक झरना के उदाहरण देखाइस। उहां एक स्थानीय पशु ह झरना के बिल्कुल तीर म अपन लइका मन के रहे के स्ट्रक्चर बनाय रहिस। तीर-तखार के झाड़ी मन के माध्यम ले झरना के स्पीड कम हो गए रहिस। उमन कहिन कि ए प्रकार से प्रकृति कतका कुछ सीखाथे। हम सबले कम लागत अऊ संसाधन के संग उपयोगी स्ट्रक्चर बना सकत हन।

ग्रामीण सहभागिता जरूरी– बैठक म श्री साहू ह कहिन कि गौठान के बने विकास बर गांव वाले मन के सहभागिता बहुत जरूरी हे। उंखर से नियमित गोठ-बात करके गौठान के काम मन के संबंध म सुझाव लेवव। मुख्यमंत्री के ओएसडी श्री आशीष वर्मा ह घलोक कहिन कि गांव वाले मन के सहभागिता ले गौठान के काम बनेच तरीका ले चलाए जा सकत हे। उमन कहिन कि गौठान गांव वाले मन के विकास बर हे अऊ उंखर से सरलग फीडबैक लेके, सुझाव लेके अऊ उंखर सहयोग लेके एला बहुत अच्छा सहिन संचालित करे जा सकत हे।

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