साकेत साहित्य परिषद् सुरगी, जिला राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़, के 20वाँ स्थापना दिवस संपन्न होइस

10 नवंबर 2019, रविवार के दिन साकेत साहित्य परिषद् सुरगी, जिला राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़, के 20वाँ स्थापना दिवस कार्यक्रम ह ग्राम सुरगी के सामाजिक समरसता सामुदायिक भवन म संपन्न होइस। कार्यक्रम के पगरइती डॅा. पीसीलाल यादव हर करिन। कार्यक्रम के माई पहुना रिहिन श्री जे. आर. भगत (सचिव, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, छत्तीसगढ शासन, रायपुर)। विशिष्ट पहुना के रूप म श्री विनोद साव (सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार, दुर्ग), श्री कैलाश बनवासी (सुप्रसिद्ध कथाकार, दुर्ग), डॅा. दादूलाल जोशी ‘फरहद’ (सुप्रसिद्ध कथाकार-संपादक; फरहद, राजनांदगाँव), डॅा. संतराम देशमुख ‘विमल’ (समीक्षक एवं कवि, दुर्ग) एवं श्री दुर्गाप्रसाद पारकर, (लोककलाकार, कवि, दुर्ग) मन उपस्थिति होके कार्यक्रम के मान अउ प्रतिष्ठा ल बढ़ाइन।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वाँ जन्म जयंती ल समर्पित ये कार्यक्रम के पहली सत्र म “गांधी : प्रतिरोध, प्रयोग एवं अनुप्रयोग” विषय ऊपर आमंत्रित पहुनामन विचार व्यक्त करिन। श्री कैलाश बनवासी हर किहिस कि प्रतिरोध माने अंग्रेज शासन के गलत अउ भेदभाव वाले दमनकारी नीति मन के विरोध करना। येकर खातिर बापू हर सत्य, अहिंसा अउ असहयोग जइसे भारयीय जीवनमूल्य मन ल अंग्रेजमन के खिलाफ हथियार के रूप में प्रयोग करिन। सत्य, अहिंसा अउ करुणा हर भारत के धार्मिक, सांस्कृतिक जीवनमूल्य म पहली ले उपस्थित रिहिन। बापू हर आजादी के लड़ाई म अंग्रेजमन के खिलाफ इंकर प्रयोग करके येमन ल नवा अर्थ प्रदान करिन। डॅा. दादूलाल जोशी ‘फरहद’ हर किहिस कि गांधीजी के अंग्रेजमन के विरुद्ध प्रतिरोध हर तो 1893 म पीटर्समारिट्जबर्ग ले शुरू हो गे रिहिस जब वोमन ल अंग्रेजमन रेलगाड़ी ले उतार के वोकर सामानमन ल फेंक देय रिहिन। गांधीजी हर प्रतिरोध के ये नीति ल जीयत ले नइ छोडि़स। गांधीजी हर जानत रिहिस कि ब्रिटिश सत्ता, जेकर राज म कभू दिन नइ डूबय वोकर ले बंदूक अउ गोला बारूद जइसन पारंपरिक हथियार से लड़ना नामुमकिन हे। जनताजनार्दन के सहयोग के बिना अकेला लड़ना घला संभव नइ हे। इही पाय के वोमन हिंदुस्तान के करोड़ों जनता ल अपन संग जोड़ेबर नवा प्रयोग करिन। वोमन हिंदुस्तान के करोड़ों गरीब जनता के रहन-सहन अउ जीवन शैली ल अपनाइन। ये हर गांधीजी के सबले बड़ाका प्रयोग रिहिस। गांधीजी हर जनता ल जउन भी संदेश देना चाहय वोला वोहर खुद अपन वयवहार म अपनावय। इही हर वोकर अनुप्रयोग हरे। श्री विनोद साव हर गांधीजी अउ वोकर परिवार के संग अपन परिवार के निकटता के बात बतावत अपन उद्बोधन म किहिन कि गांधीजी हर जानत रिहिस कि परम शक्तिशाली ब्रिटिश सत्ता के संग बंदूक अउ बम से लड़ना असंभव हे। इही पाय के वोमन सत्य अउ अहिंसा के रस्ता ल अपनाइन। बंदूक अउ बम से लड़नेवाला सुभाषचंद्र बोस अउ भगत सिंह आजाद जइसन क्रांतिवीरमन ल आखिर म अंग्रेजमन के ताकत के शिकार होना पड़ गिस, येला हम सब जानतेच हन। श्री दुर्गा प्रसाद पारकर हर लोकगीत मन म गांधीजी प्रभाव के चर्चा करिन। डॅा. पीसीलाल यादव हर किहिस कि गांधीजी हर लोक म प्रतीष्ठित होके लोकजीवन म समा के वोकर अंतस तक ल प्रभावित करिन। येकरे परिणाम हरे कि लोकसमाज हर गांधीजी ल देवता बना दिस। आज के समय म गांधीजी हर काकरो बर नायक बने हे त कतरो बर खनायक घलो बन गे हे फेर लोक साहित्य म तो गांधीजी हर आज घला देवता के रूप में जीवित हैं। ”कपड़ा पहिरव खादी के, जय बोलो महात्मा गांधी के।“
कार्यक्रम के शुरुआत परिषद के सलाहकार श्री यशवंत मेश्राम हर परिषद् के प्रतिवेदन ल आधार वक्तव्य के रूप में प्रस्तुत करके करिन। इही सत्र म संस्था के वार्षिक पत्रिका ’साकेत समारिका 2019’ के विमोचन करे गिस अउ डॅा. दादूलाल जोशी ‘फरहद’ अउ परिषद के पूर्व अध्यक्ष थनवार निषाद ‘सचिन’ के सम्मान घला करे गिस।
ये सत्र के प्रभावी संचालन परिषद् के संरक्षक, श्री कुबेर सिंह साहू द्वारा करे गिस।

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