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विवेकानंद केंद्र रायपुर शाखा कोति ले “एक भारत-विजयी भारत” उपर व्याख्यान

रायपुर, विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी अऊ विवेकानंद विद्यापीठ कोटा रायपुर के संघरा उदीम म कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद शिला स्मारक के 50 वां साल के उपलक्ष म आयोजित व्याख्यान म आज संझा डॉक्टर ओम प्रकाश वर्मा ह कहिन भारत के प्राण 5000 साल पहिली घलोक धर्म रहिस, आज घलोक हे। भारत एक जीवंत राष्ट्र हे। विश्व के आन सभ्यता आईस अउ चल घलोक दीस, कभू यूनान के झंडा कभू रूस के झंडा लहराइस। ओ मन दुनिया म छा घलोक गीस फेर कम समय बर। अभी हाल म उंखर अस्तित्व ही खतम हो गीस । स्‍वामी विवेकानंद कन्याकुमारी के शिला म 3 दिन, तीन रात चिंतन करिन अऊ भारत ल दुर्दशा ले मुक्ति बर चिंतन अउ योजना लेके निकलिन। उंखर काम आज घलोक रामकृष्ण मिशन के माध्यम ले चलत हे।

पद्मश्री माननीय निवेदिता दीदी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष – विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी संस्थान ह अपन अनुभव साझा करिन, कि एक विजयी भारत बनाए बर देश के जम्‍मो नागरिक मन ल श्रेष्ठ प्रदर्शन करना होही। मोर परिवार ही मोर हे ये सोच ले आगू निकलना होही। मोर परिवार तो देश हइच हे, ये समाज घलोक मोर हे । ये देश घलोक मोर हे ये सोच लाना होही। कन्याकुमारी के शिला स्मारक म स्मारक निर्माण अड़बड़ कठिन परिस्थिति म होए रहिस। तमिलनाडु के ओ समें के मुख्यमंत्री भक्त वत्सल ह अंबाजी के स्मारक निर्माण के सख्त खिलाफ रहिन, फेर एकनाथ जी ह चातुर्य अऊ कौशल के परयोग करत 3 दिन म ही 323 सांसद मन के सहमति पत्र ले आइन। एकर पाछू पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी के माध्यम ले नेहरू जी तक ये बात पहुंचिस। तब उमन ल लगिस के 323 सांसद मन के सहमति मने पूरा देश स्मारक चाहथे। फेर उमन मुख्यमंत्री ल निर्देश दीन कि स्मारक के काम शुरू करव। आखिर म कन्याकुमारी के शिला स्मारक आप मन के सामने हे। कार्यक्रम के समय एक पुस्तक के विमोचन अऊ मातृछाया संचालक श्री कोंडापुरकर जी के सम्मान घलोक करे गीस । कार्यक्रम के संचालन विवेकानंद केंद्र के विभाग प्रमुख अऊ प्रोफेसर सुभाष चंद्राकर जी ह करिस। कार्यक्रम के समापन म श्री मावजी भाई पटेल कोति ले धन्यवाद ज्ञापित करे गीस।

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