छत्तीसगढ़ी भाखा ल वैश्विक पहिचान देवाए एकजुट होइन साहित्यकार

रायपुर, राज्य स्तरीय युवा महोत्सव अऊ छत्तीसगढ़ लोक साहित्य सम्मेलन के दूसर दिन इतवार के दिन राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज परिसर के ऑडिटोरियम म छत्तीसगढ़ साहित्य अऊ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विसय उपर दू सत्र म छत्तीसगढ़ लोक साहित्य सम्मेलन के कार्यक्रम होइस। ये बेरा म बेमेतरा ले आये श्री रामानंद त्रिपाठी के कविता ल श्रोता मन ह अड़बड़ सहराईन। ये मौका म लेखक श्री कृष्ण कुमार पाटिल के पुस्तक जय छत्तीसगढ़ दाई, डॉ. गीतेश अमरोही के पुस्तक कौशल्या अऊ छत्तीसगढ़ी उपन्यास सोन कमल के विमोचन करे गीस।
सत्र म भाग लेवईया मन ह अपन विचार व्यक्त करिन। संजीव तिवारी ह छत्तीसगढ़ी भाखा के विकास बर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम म आगू कइसे काम करे जाए अउ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम ले छत्तीसगढ़ी की-बोर्ड के विकास के बिंदु मन उपर अपन विचार अऊ अनुभव साझा करिन। भाग लेवईया मन ह आधुनिक छत्तीसगढ़ी अऊ जुन्ना छत्तीसगढ़ी भाखा के उपयोग आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अउ डिजिटल मीडिया के माध्यम ले आज के मनखे मन उपर परत प्रभाव अउ भाषाई अंतर म अपन-अपन अनुभव व्यक्त करिन। सम्मेलन म छत्तीसगढ़ी साहित्य ल जादा ले जादा इंटरनेट के माध्यम ले वेबपोर्टल अऊ ब्लॉग बनाके आगू बढ़ाए के तरीका उपर घलोक चर्चा करे गीस। जेमां भाग लेवईया मन ह भाखा के विकास बर आधुनिक अऊ जुन्ना छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के सहयोग के मांग करिन। राजभाषा आयोग के सचिव डॉ. अनिल कुमार भतपहरी ह पूरा सहयोग के भरोसा दीन।
छत्तीसगढ़ लोक साहित्य सम्मेलन के दूसर सत्र के अध्यक्षता डॉ. सुधीर पाठक ह करिन। कार्यक्रम के शुरुआत डॉ. वीणा बंजारे ह अपन उद्बोधन ले करिन। जेमां उमन जुन्ना रीति-रिवाज उपर चर्चा करिन अऊ संस्कृति साहित्य ल आगू बढ़ाए आधुनिक माध्यम इंटरनेट अऊ वीडियो माध्यम उपर विशेष जोर दीन। कार्यक्रम म साहित्यकार कृष्ण कुमार पाटिल, डॉ गीतेश अमरोही, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मधुमिता पाल अऊ वेब मीडिया के विशेषज्ञ गुरतुर गोठ के संपादक संजीव तिवारी मौजूद रहिन।

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