तीज-तिहार, बोली अऊ भाखा हमर पहिचान: श्री भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री सामिल होइन राष्ट्रीय भोजली महोत्सव म

रायपुर, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज इहां गोंडवाना भवन टिकरापारा म आयोजित राष्ट्रीय भोजली महोत्सव म सामिल होइन। कार्यक्रम म मुख्यमंत्री के स्वागत परम्परागत रूप ले पागा पहिना के करे गीस। कार्यक्रम के आयोजन गोंडी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति अऊ छत्तीसगढ़ गोंडवाना संघ कोति ले संघरा करे गीस। ये बेरा म गोंड समाज प्रमुख श्री लाल तारकेश्वर प्रसाद खुसरो, गोड़ समाज के पदाधिकारी संग ओडिशा, मध्यप्रदेश अऊ छत्तीसगढ़ के कई ठन जिला मन ले आए सामाजिक बंधु उपस्थित रहिन।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ह आदिवासी समाज ल स्वतंत्रता दिवस ,रक्षाबंधन पर्व अऊ भोजली पर्व के शुभकामना दीन। उमन कहिन कि हमर संस्कृति, बोली-भाषा, रहन-सहन अऊ तीज-त्यौहार हमर चिन्‍हारी ये। हमला ए मन ल बचाके रखना होही। उमन कहिन कि पहिली भोजली के तिहार गांव-गांव म परम्परागत उछाह के संग मनाये जात रहिस। मनखे भोजली बदत रहिन अऊ भोजली के रिश्ता खून के रिश्ते ले घलोक बड़का होत रहिस। हमर ये परम्परा खतम होवत रहिस। आदिवासी समाज ह ये परम्परा ल न सिरिफ फेर जियाए हे भलुक जगा-जगा एकर बड़का स्तर म आयोजन करके एला एक पइत फेर समाज के परम्परा के हिस्सा बनाए म महत्वपूर्ण योगदान देहे हे। अपन परम्परा के संरक्षण बर राज्य सरकार ह हरेली, विश्व आदिवासी दिवस, तीज, छठ, माता कर्मा जयंती म सामान्य अवकाश के घोषणा करे हे।

मुख्यमंत्री ह कहिन कि लइका मन ल उंखर मातृ भाखा म शिक्षा देहे ले ये दिल के गहराई तक पहुंचथे। आन भाखा म ये केवल दिमाग तक पहुंचथे। उमन कहिन कि आदिवासी समाज के सबले जुन्‍ना भाषा मन म सामिल गोंड़ी, हल्बी, अऊ कुडुख म पढ़ाई होना चाही। ये भाषा हमर पहिचान हे। नवा पीढ़ी तक एखर जानकारी पहुंचना चाही। प्रदेश म लइका मन ल छत्तीसगढ़ी, सरगुजिया, हल्बी, कुड़ख, गोंडी भाखा म शिक्षा बर डिजी दुनिया एप बनाये गए हे।

मुख्यमंत्री ह कहिन कि आदिवासी मन के हित म सरकार सरलग काम करत हे। सरकार म मंत्री मन के अलावा बस्तर, सरगुजा अऊ मध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष अऊ उपाध्यक्ष आदिवासी समाज ले बनाय गए हे। उमन राज्य सरकार कोति ले लेहे गे फैसला के विस्तार ले जानकारी दीन। उमन राजधानी म समाज बर जमीन आबंटित करे के मांग म कहिन कि नवा रायपुर अटल नगर म कई ठन समाज ल सामाजिक काम बर जब जमीन के आबंटन होही तब आदिवासी समाज ल घलोक जमीन आबंटित करे जाही। ये बेरा म समाज के बहुत अकन पदाधिकारी अऊ सदस्य बड़ संख्या म उपस्थित रहिन।

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