कोरबा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था ल मजबूती देहे बर गांव मन म बने गौठान अब गांव मन के परिवार के आजीविका के मुख्य साधन बने लगे हे। अहिरन नदी के तीर, लंबा-लंबा साल के सुग्घर रूखके बीच कोरबा जिला के पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड के महोरा गांव के गौठान रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप म संवरत हे। ये गौठान म आठ महिला स्वसहायता समूह के सदस्य 13 प्रकार के जीविकोपार्जन गतिविधि मन म लगे हें अऊ बनेच लाभ कमावत हें। भांवर ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम महोरा म स्थापित आदर्श गौठान के नाम सुनके खुद मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल घलोक ये गौठान म गए रहिन अऊ समूह के महिला मन के हौसला अफजाई करे रहिन। महोरा गौठान म वर्मी खाद उत्पादन, केंचुआ उत्पादन, अण्डा उत्पादन, बकरी पालन, अगरबत्ती निर्माण, दोना-पत्तल निर्माण, मिनी राईस मिल, मछली पालन, मशरूम उत्पादन ले लेके गोबर के दीया, गमला, मूर्ति, गोबर काष्ठ बनाए जइसे 13 कई प्रकार के आजीविका गतिविधि करत हें। ये गौठान आसपास के 121 परिवार के आजीविका के मुख्य केन्द्र बन गए हे। ये साल गौठान के गतिविधि मन ले करीबन साढ़े सात लाख रूपिया के आमदनी होए हे।
नवा छत्तीसगढ़ के 36 महिना: रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप म संवरत महोरा गौठान
गौठान के हरेकृष्णा स्वसहायता समूह के हसदेव अमृत ब्राण्ड जैविक खाद गुणवत्ता बर पूरा छत्तीसगढ़ म सबले पहिली सीजी सर्ट सोसायटी सर्टिफिकेट प्राप्त करइया खाद ये। ये खाद के उपयोग वन विभाग कोति ले वृक्षारोपण बर अऊ उद्यानिकी विभाग के फसल बर करे जात हे। समूह के कांति देवी कॅवर बताथे के ये तो सोना म सोहागा हे कि हमला बिना लागत के जैविक खाद ले दस रूपिया प्रति किलोग्राम के दर ले कमाई हो जाथे। खपत बर गॉवें म जरूरत होथे, संगेच शासकीय विभा मन कोति ले मॉग आथे। एकर से खाद ले घुरवा प्रबंधन घलोक होथे अऊ कम समय मे बनेच कमई घलोक हो जाथे। हरे कृष्णा स्व-सहायता समूह ह नीम करंज आदि के तेल, अवशेष अऊ अर्क ले निमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, अग्नेयास्त्र, फिनाइल, गौमूत्र ले निर्मित जैविक कीटनाशक जइसन जैविक उत्पाद घलोक बनाए हें। जेखर उपयोग खेती किसानी ले लेके घर तक म करे जात हे। पाछू तीन महीना म 878 कुंटल खाद बेचके एक लाख 75 हजार ले जादा रूपिया गौठान के महिला मन ह कमाए हें। गौठान म कार्यरत चरवाहा ह गोधन न्याय योजना के तहत करीबन 50 क्विंटल गोबर बेचके मिले राशि ले बकरी पालन के काम शुरू करे हे।
नवा छत्तीसगढ़ के 36 महिना: रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप म संवरत महोरा गौठान
म करीबन साढ़े 300 मुर्गि वाले एक पोल्ट्री फार्म घलोक विकसित करे गए हे। महिला मन ह ये पोल्ट्री फार्म ले अभी तक साढ़े तीन हजार ले जादा अण्डा बेच देहे हें। वर्मी कम्पोस्ट बनाए बर जरूरी स्वस्थ केंचुवा मन के उत्पादन घलोक महोरा के गौठान म होवत हे। केंचुआ उत्पादन करके समूह के महिला मन ह करीबन 25 हजार रूपिया कमाए हें। गोधन न्याय योजना के तहत गौठान म गोबर खरीदी करे जात हे। ये खरीदे गए गोबर ले गमला, दीया, गोबर काष्ठ आदि बनाए के मशीन गौठान म ही लगाए गए हे। गोबर उत्पाद मन ले महिला समूह मन ह करीबन 10 हजार रूपिया, दोना-पत्तल अऊ अगरबत्ती बनाके करीबन 10 हजार रूपिया के आय प्राप्त करे हें। महोरा गौठान म कोसा धागाकरण बर घलोक रेलिंग मशीन स्थापित करे हे। धागाकरण म लगे पूजा स्वसहायता समूह के महिला मन ह एखर से करीबन 10 हजार रूपिया के अकतहा आय अर्जित करे हें। वर्मी कम्पोस्ट के पैकेजिंग बर घलोक जरूरी व्यवस्था गौठान म ही एपलब्ध हे। प्लास्टिक के बोरा मन म ब्राण्ड नेम के प्रिंटिंग के काम घलोक महोरा गौठान म ही होथे। इहां ले पूरा जिला म ए प्रिंटेड बोरा ल मांग अनुसार भेजे जाथे। बोरा प्रिंटिंग ले ही करीबन 20 हजार रूपिया के आमदनी समूह ल हो जाथे।
महोरा म सब्जी उगाए बर गौठान ले लगे जमीन म ही बाड़ी बनाए गए हे। दू स्वसहायता समूह मन ह पाछू सीजन म सब्जी उत्पादन ले ही करीबन 74 हजार रूपिया कमाए हें। एखर संगेच मशरूम उत्पादन, मछली पालन अऊ मिनी राईस मिल ले घलोक महिला समूह बनेच आमदनी लेवत हें। महोरा गौठान सही म एक छोटे ग्रामीण औद्योगिक इकाई के रूप म तेजी ले आसपास के इलाका मन म अपन पहिचान बनात हे। आन जिला मन ले घलोक गौठान समिति मन के सदस्य कोरबा के ये गौठान के अवलोकन करे, एखर गतिविधि मन ल सीखे आथें। स्थानीय स्तर म ही उपलब्ध संसाधन ले ग्रामीण अर्थव्यवस्था ल मजबूती देहे के छत्तीसगढ़ सरकार के मॉडल महोरा गौठान म फलीभूत होत दिखाई देवत हे।