जंगल ले आमदनी बाढ़ही त वनवासी मन के जंगल ले प्रेम अऊ बाढ़ही: श्री भूपेश बघेल

  • मुख्यमंत्री सामिल होइन ‘वन आधारित जलवायु सक्षम आजीविका के दिशा म क्रांतिकारी बदलाव‘ विसय म परिचर्चा म
  • वन अऊ पर्यावरण कानून के क्रियान्वयन म अपनाना होही व्यावहारिक दृष्टिकोण
  • आदिवासी हें वन के मालिक : वन विभाग के काम जंगल मन के प्रबंध करना
  • आदिवासी मन ल अधिकार देहे के काम म सहयोग करव

रायपुर, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ह कहिन हे कि जंगल म रहइया वनवासी मन के जंगल ले आय बाढ़ही, त ओखर जंगल बर प्रेम अऊ बाढ़ही। आज हमला जंगल ल अइसन फलदार प्रजाति के वृक्ष अऊ पौधा ले समृद्ध करे के जरूरत हे, जेकर से एक कोति वनवासी मन के आय बाढ़े अऊ दूसर उहां रहइया पशु पक्षि मन के जरूरत पूरा हो सकय। उमन कहिन कि आदिवासी मन ही जंगल के मालिक यें, वन विभाग के काम जंगल के प्रबंधन करना हे। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ह आज नवा रायपुर स्थित अरण्य भवन म ‘वन आधारित जलवायु सक्षम आजीविका के दिशा म क्रांतिकारी बदलाव‘ विसय म आयोजित एक दिवसीय परिचर्चा ल संबोधित करिन। आदिमजाति विकास मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह, मुख्यमंत्री के सलाहकार द्वय श्री प्रदीप शर्मा अऊ श्री विनोद वर्मा, वन विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनोज कुमार पिंगुवा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी संग वन विभाग के अधिकारी, विसय विशेषज्ञ अऊ ग्रामीण बड़ संख्या म ए अवसर म उपस्थित रहिन। परिचर्चा के आयोजन वन विभाग अऊ ऑक्सफेम संस्था के संयुक्त तत्वावधान म करे गीस।

मुख्यमंत्री ह कहिन कि जंगल ल बचाय बर वनवासी मन ले जादा पढ़े लिखे मनखे मन के जिम्मेदारी हे। राज्य सरकार के फोकस ए बात म होना चाही कि वनवासी मन के जीवन कइसे सुखमय बन सकय। जंगल मन ल बचाय के संगे-संग वनवासी मन के आय कइसे बढ़ाए जा सकय एखर ऊपर ध्यान देना होही। एखर संगेच छोटे वनोपज मन म वैल्यू एडिशन के दिशा म घलोक काम करना होही। श्री बघेल ह कहिन कि आज प्रदेश के अइसन जिला मन म जिहां जंगल जादा हे, उहां सिंचाई के प्रतिशत शून्य ले लेके 5 प्रतिशत तक हे। सिंचाई के सुविधा नइ होए ले कहूँ बरसा नइ होवय त फसल तो बर्बाद होतेच, संगेच उहां जल स्तर घलोक कम होत हे। कहूँ फरवरी महिना म हम नगरी क्षेत्र के जंगल म जाथन त जादातर वृक्ष मन के पाना झड़ जाथे, एकर सबले बड़े कारण जंगल मन म गिरत जल स्तर हे। उमन कहिन कि जंगली क्षेत्र मन के विकास बर वन अधिनियम अऊ पर्यावरण अधिनियम के क्रियान्वयन बर हमला व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना होही। उहां कम से कम सिंचाई परियोजना मन के अनुमति दे जाना चाही, जेखर से उहां बांध बन सकय, बैराज अऊ एनीकट बन सकय। सिंचाई नहर मन ले जब पानी गांव म ले जाए जाथे, तो ओ पूरा क्षेत्र म जल स्तर बने रहिथे।

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