साइकिल ले सफर हो गए रहिस मुश्किल, अब बस ले लउहे मिलही मंजिल

  • पुणे ले ओडिशा लहुटत मजदूर मन ल छत्तीसगढ़ आतेच मिलीस बस

रायपुर, 17 मई 2020। ओडिशा के कंधमाल जिला के रहइया हेमंत, कपूना बेहरा अऊ जसवंत बगोरती तीर जब अपन गांव म कुछ काम नइ रहिस तब ए तीनों मन शहर जाके कुछ नवा काम करे अऊ कुछ रूपिया जोड़े के ठानिन। हेमंत ल अपन बहिनी के बिहाव बर कुछ रकम जुटाना रहिस। ए खातिर करीबन चार महीना पहिली महाराष्ट्र के पुणे म जाके वो मन ह बोरिंग करे के काम एक ठेकेदार ले जुड़के शुरू करिस। अभी दू महिना ही होए रहिस, ओखर सपना पूरा हो पातिस एखर ले पहिली देश म अचानक ले लाकडाउन हो गीस। कुछ दिन म लाक डाउन खुल जाही अऊ काम फेर शुरू हो जाही, कुछ अइसनहे उम्मीद के संग ए तीनों दोस्त मन ह एक कमरा म बिना कोनो काम के दू महिना तक अपन दिन गुजारिन। ये बीच जऊन कमाये रहिन वो बचे खुचे रकम घलोक खर्च होवत रहिस। हाथ म बहुत कम पइया बांचे रहिस, लाकडाउन कब खुलही, ये घलोक कुछ अंदाजा लगा पाना मुश्किल होवत रहिस, आखिरकार सब्र के बांध टूट गीस अऊ आन सैकड़ों मजदूर मन के जइसे ये तीनों साथी पुणे ले नया-पुराना साइकिल खरीदके ओडिशा बर निकल गीन। लगातार चार दिन तक साइकिल ले सफर अऊ कुछ जगा म ट्रक के सहारे कइसनहो करके ये मन छत्तीसगढ़ के सीमा तक पहुच गें। इहा छत्तीसगढ़ राज्य आतेच सीमा म खान-पान अऊ बस के व्यवस्था ह ओडिशा के ए प्रवासी मजदूर मन के दिल जीत लीस। बस मिलतेच इमन अपन साइकिल ऊपर चढ़ाईन अऊ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ल धन्यवाद करत कहिन के पुणे ले निकलतेच अपन गांव तक के लंबा दूरी ल सोचके बहुत तनाव म रहेन, ओ मन ल साइकिल के सफर बहुत मुश्किल लगत रहिस फेर अब बस के सुविधा मिल जाय ले उंखर मुश्किल सफर, राहत के सफर बन गए हे अऊ आसानी ले अब अपन मंजिल तक पहुंच जाहीं।

ओडिशा के कंधमाल जिला ले महाराष्ट्र के पुणे गे हेमंत, कपूना बेहरा अऊ जसवंत बगोरती ह बताइस के ओ मन मजदूर यें अऊ अब काम बंद होए ले गांव वापस लहुटत हें। इमन बताइन के पुणे म एक ठेकदार के संग जुड़के बोरिंग खोदाई के काम करत रहिन। लाक डाउन होए के बाद काम बंद हो गे। कोनो तरा ले दू महिना काटिन। हेमंत ह बताइस के महाराष्ट्र म कोरोना के खतरा बहुत जादा हे अउ लाक डाउन कब खुलही ये गारंटी नइ हे अइसन म सबो मजदूर अपन-अपन घर लहुटत हें। ओ ह बताइस के हमार पास कोनो साधन नइ रहिस, कुछ पइसा रहिस ओखर से तीनों ह नवा-पुराना साइकिल खरीदिन अऊ उही साइकिल ल चलात 4 दिन तक कई सौ किलोमीटर के सफर तय करिन। जसवंत ह बताइस के छत्तीसगढ़ राज्य म प्रवेश करतेच हमर मुश्किल मन के अंत होना शुरू हो गीस। बार्डर म राहत शिविर म प्रशासन अऊ समाज सेवी मन के माध्यम ले खान-पान के व्यवस्था करे गए रहिस। रद्दा म खाए बर पैकेट अऊ पानी घलोक दे गीस। बार्डर ले रायपुर तक आए बर बस के व्यवस्था करे गीस, जेखर से साइकिल चलाना नइ परिस। रायपुर आए के बाद टाटीबंध चौक म राहत शिविर म शासन-प्रशासन के संग छत्तीसगढ़ के समाज सेवी मन ह खान-पान के व्यवस्था संग ओडिशा जाय बर बड़का बस के इंतजाम करिस। उमन कहिन के छत्तीसगढ़ के सरकार ह कठिन समय म हमार बर बस अऊ भोजन के व्यवस्था करके जऊन राहत पहुचाए हे ओखर से हम बहुत खुश हन। अब हमला भीषण गर्मी म जान जोखिम म डालके साइकिल नइ चलाना परय अऊ एक लंबा सफर बस के माध्यम ले आसानी ले पूरा कर लेबोन।

अइसनहे बलौदाबाजार जिला के ग्राम अर्जुनी अऊ तारस के श्रमिक मिलापचंद पटेल अऊ टेंकू सिह पटेल घलोक हे। जे मन सैकड़ों मजदूर मन के जइसे छत्तीसगढ़ सरकार ले राहत के बस मिलीस। महाराष्ट्र के सतारा जिला म मजदूरी करइया मिलापचंद अऊ टेंकू सिंह पटेल लाकडाउन के सेती परिवार संग उहें फसे रहिन। कइसनो करके छत्तीसगढ़ के सीमा तक पहुचे के बाद उमन बस ले रायपुर पहुचिन। इहां टाटीबंध म राहत शिविर म भोजन अऊ आन व्यवस्था मन के बाद फेर बस के सुविधा मिलीस। कई दिन ले हलाकान ए मजदूर मन ह राहत के सास लेत दुख के बेरा म छत्तीसगढ़ सरकार अऊ इहां के समाज सेवी मन के सहयोग के सराहना करत बार बार धन्यवाद दीन।

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