गरियाबंद जिला म वन अधिकार पत्र मिले ले अब किसान कहात हंव- कुमार साय कमार

परम्परागत व्यवसाय के अलावा किसानी ह वोकर मुख्य व्यवसाय बनिस

गरियाबंद, 27 जुलाई 2020। गरियाबंद जिला अंतर्गत ग्राम केशोडार के 48 बछर के कुमार साय कमार ये बात ले खुश हवय के अब उहू किसान कहाए लगे हे। कमार जनजाति के ये युवा के परिवार अपन परम्परागत काम कंदमूल सकेलइ, शिकार करइ अऊ बांस ले टुकनी आदि बनाना के काम करत रहिन। जब ले ए मन ल वन अधिकार पत्र मिले हे, इमन ल किसान के रूप म घलोक पहिचान मिले हे। कुमार साय के बताती करीबन दू एकड़ काबिज जमीन म वोखर दादा खेती करत आत रहिस। वन अधिकार अधिनियम के तहत ओ ल पट्टा मिलीस। पाछू 30 साल ले एकर दादा अऊ पिता जी डेरा डेरा के खेती करत आत रहिन। वन अधिकार पत्र मिले ले हम पुरा आत्मविश्वास अऊ तैयारी के संग धान के खेती म जुट गए हवन। पउर साल समर्थन मूल्य म करीब 30 क्विंटल धान बेचे रहेन। मां फुलबाई के नाम म घलोक 5 एकड़ जमीन हे तेमा करीबन 50 क्विंटल धान बेचेन। मोर अउ मां के मिलाके कुल 7 एकड़ खेत म हम किसानी करत हवन। हमर परिवार म 6 सदस्य हवन अब हम आर्थिक रूप ले सक्षम हो गए हवन। खेती ले कमई ले घर तको बनाए हन अउ फटफटी तको बिसाए हन। ए खुसी म, कुमार साय अऊ वोखर मां सरकार ह धन्यवाद ज्ञापित करत नइ थकत हें।

अइसनहे इही गांव के हितग्राही भगवान दास मानिकपुरी ह बताइस के उहू ल घलोक शासन कोति ले वन अधिकार पत्र ले मिले 1 एकड़ 70 डिसमिल जमीन म वो किसानी करत हे। पहिली चराई के डर रहय, संगेच जमीन उपर मालिकाना हक नइ होए ले डेरा के खेती करन। आज स्थिति बदल गए हे। अब हम पुरा हक के संग खेती करत हन। गांवेच के जयसिंग कमार ह घलोक बताइस के अब ओ ल धान, खाद, बीज लेहे म कोनो परेशानी नइ होवय। ऋण पुस्तिका घलोक मिल चुके हे। गरियाबंद विकासखण्ड के अनुसूचित जनजाति कमार बाहुल्य गांव केशोडार के 40 परिवार मन ल 38.75 हेक्टेयर जमीन के वन अधिकार पत्र शासन कोति ले देहे गए हे। अब इहां के कमार जनजाति घलोक किसान कहाए लगे हे।

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