बीजापुर, 23 अकटूबर 2020. राज्य के सुदूर वनांचल बीजापुर जिला म शासकीय कोसा बीज केन्द्र, नैमेड़ म रेशमकीट पालन अऊ कोसाफल उत्पादन के काम करइया आयतू कुड़ियम कुछ साल पहिली तक अपन खेत म खरीफ के फसल लेहे के बाद सालभर मजदूरी खोजे म घूमत रहय, फेर आज वो न सिरिफ कुशल कीटपालक के तौर म अकतहा कमाई करत हे, भलुक गांव के आन मनखे मन ल घलोक ये मां सामिल करत हे।
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिला के ये आदिवासी किसान अब ग्राम पंचायत नैमेड़ म स्थित शासकीय कोसा बीज केन्द्र कीटपालक समूह के प्रतिनिधित्व करत कीटपालन अऊ कोसाफल के उत्पादन अऊ संग्रहण केे काम करत हे। पाछू कुछ साल म आयतू ल करीबन ढाई लाख रूपिया के अकतहा आमदनी होए हे।
शासकीय कोसा बीज केन्द्र नैमेड़ म वर्ष-2008-09 म मनरेगा योजना अंतर्गत 28 हेक्टेयर म बड़ संख्या म साजा अऊ अर्जुन (कउहा) के पौधा रोपे गए रहिस। रेशम विभाग ह इहां रेशमकीट पालन के काम करवाए जात हे। साल 2015 म आयतू ह श्रमिक के रूप म काम शुरू करे रहिस, वो धीरे-धीरे कोसाफल उत्पादन के प्रशिक्षण लेहे घलोक शुरू कर दीस। संगेच ओ ह गांव के आन श्रमिक मन ल अपन संग समूह के रूप म जोड़के कीटपालन के काम शुरू कर दीस। इंकर समूह के उत्पादित कोसाफल ल विभाग के ककून बैंक के माध्यम ले खरीदे जाथे। जेखर से ए मन ल सालभर म बढि़या कमाई होवत हे।
कुशल कीटपालक बने के बाद कोसाफल उत्पादन ले मिले नवा आजीविका ले जीवन म आये बदलाव के बारे म आयतू के कहना हे के रेशम कीटपालन के रूप म मोला रोजी-रोटी के नवा साधन मिले हे। कोसाफल उत्पादन ले जुड़े के बाद अब में अपन परिवार के भरण-पोषण बने सहिन कर पात हंव अऊ अपन लइका मन ल बने पढ़ावत घलव हंव।