रायपुर, 04 फरवरी 2021। अभी तक हम सफेद दूधिया रंग के चांऊर बोंवत अऊ खात आत रहेन। फेर अब करिया रंग के चांऊर तको मिले लगे हे। छत्तीसगढ़ राज्य के धमतरी जिला के किसान मन अब एला उपजाए लगे हें। औषधीय गुण ले भरपूर ब्लैक राइस म सेलेनियम (एंटी कैंसर), एन्थ्रोसायनिन (एंटी एजेंट अऊ एंटी ऑक्सीडेंट), जिंक, आयरन, फॉलिक एसिड, कैल्शियम अऊ फाइबर प्रचुर मात्रा म पाए जाथे। ये कैन्सर, मोटापा, ब्लड प्रेशर, कुपोषण, सिकल सेल, एनीमिया म लाभकारी होए के संगेच इम्यून सिसटम ल मजबूत रखे म सहायक होथे। ये ब्लैक राइस के बाजार म बनेच कीमत के संग मांग घलोक अड़बड़ हे।
ब्लैक राइस के उत्पादन बर प्रदेश म सबले पहिली धमतरी जिला के परसवानी निवासी प्रगतिशील किसान गजेन्द्र चन्द्राकर ह उदीम करे रहिस। वो ह असम ले एकर बीजहा मंगाके एला उपजाईस। आत्मा योजना के तहत कुरूद के हतबंध म 15 एकड़ म ब्लैक राइस के प्रदर्शनी लगाए गए रहिस। जानबा हे कि 2018-19 म जिला म औषधीय गुणयुक्त ब्लैक राइस (कृष्णम) 70 एकड़ के क्षेत्र म बतौर प्रदर्शन लगाइए गए रहिस। उहें 35 एकड़ के क्षेत्र म मधुराज 55, महाजिंक 27 एकड़ म अऊ 8 एकड़ म लोहन्दी (जिंक) के प्रदर्शनी किसान मन के खेत म लगाए गीस। किसान मन ह तियार उत्पाद ल राष्ट्रीय अऊ राज्य स्तरीय प्रदर्शनी मन म ले जाके एला एक नवा पहिचान देवाईन।
एखर बाद प्रदेश म साल 2019 म राजधानी रायपुर म आयोजित अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता कृषक सम्मेलन म जिला के कुरूद स्थित ओजस्वी कृषक उत्पादक संगठन अऊ किसान रामलाल भतपहरी अऊ थनेन्द्र साहू ह 110 क्विंटल ब्लैक राइस बर सम्मेलन म आए निर्यातक मन ले अनुबंध करिन। ये मां प्रति किलो ब्लैक राइस के दर 100 रूपिया तय होइस। ये सिलसिला ल आगू बढ़ात साल 2019-20 म आत्मा योजना के तहत कृषक प्रदर्शन के तौर म 30 एकड़ म ब्लैक राइस के फसल लगाए गीस। हाले म हतबंध म लाभांश वितरण के एक कार्यक्रम आयोजित करे गीस, जिहां ब्लैक राइस के खेती करत युवा कृषक अभिरूचि समूह के किसान मन ल ऊंखर कोति ले बेचे गए चावल के लाभांश मिलीस। ओ मन ल प्रति क्विंटल एक हजार रूपिया के लाभ मिलीस। एखर तहत समूह के कृषक थनेन्द्र साहू, केजूराम देवांगन, लोकेश साहू, हरीश साहू अऊ राजेश डोटे ल कुल तीस हजार रूपिया के आमदनी होइस।
युवा कृषक अभिरूचि समूह के किसान हतबंध निवासी केजुराम देवांगन अऊ कृषक हरीश साहू के बताती जैविक पद्धति ले तियार करे गए ये फसल ले आय म बढ़ोत्तरी तो होतेच हे, संगेच पर्यावरण ल जैविक खेती ले प्रदूषित करे ले बचाया जा सकत हे।