​​​​​​​जैविक खेती : लागत म कमी अऊ जमीन के उपजाऊ क्षमता बढ़ाने के जरिया

कोंडागांव, 13 फरवरी 2021। रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव मन ले बचने बर जैविक खेती बेहतर विकल्प हे। स्वास्थ्य के प्रति बाढ़त जागरूकता के सेती मनखे मन के रूझान अब जैविक फसल कोति बाढ़त हे। कोंडागांव जिला के विकासखण्ड फरसगांव के ग्राम भण्डारवण्डी निवासी मंगलूराम कोर्राम अपन 08 एकड़ के जमीन म पाछू 20 बछर ले जैविक खेती करत हें। वो ह बताइस कि ओ ह अपन खेत म अपने तियार करे गये जैविक खाद अऊ गौमूत्र के उपयोग करके धान के कई ठन प्रजाति जइसे ‘जीरा फूल, श्रीराम, जवाफूल, सीताचोरी, अरूण एचएमटी‘ के कई ठन किस्म मन के उत्पादन सफलतापूर्वक करत हे। एखर संगेच ही ओ ह ‘कुल्थी, मंडिया अऊ कोसरा‘ जइसे मोटा अनाज अऊ साग-सब्जी घलोक उगावत हे।
जैविक खेती ल बढ़ावा देहे बर कृषि विभाग ह वोला आत्मा योजना के तहत् 90 हजार के चेक घलोक देहे हे। मंगलूराम ल जैविक खेती के प्रशिक्षण बर ‘रिर्सोस पर्सन‘ के रूप म घलोक आमंत्रित करे जाथे। मंगलूराम गांव के आन किसान मन ल घलोक जैविक खेती के फायदा मन के बारे म सलाह देवत हे। एखर संगेच वो किसान मन ल खाद, बीज अऊ जैविक दवइ के उपयोग के जानकारी साझा करत हे। मंगलूराम ह बताइस कि वोखर छोटे भाई के रूझान जैविक खेती के प्रति शुरू ले ही रहिस, एखर बर वोखर भाई ह हैदराबाद स्थित प्रशिक्षण संस्थान ले जैविक खेती के संबंध म प्रशिक्षण लीस अऊ केंचुआ खाद बनाए के तकनीक सीखीस। ओ मानथे कि जैविक खेती ले न केवल जमीन के उपजाऊ क्षमता अऊ सिंचाई अंतराल म बढ़ोतरी होथे, भलुक रासायनिक खाद उपर निर्भरता कम होए ले लागत म घलोक कमी आथे।

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