पुरावशेष मन ले पुरखा मन के रहन-सहन, खान-पान अऊ आन तथ्य मन के संबंध म मिलथे जानकारीः मंत्री अमरजीत भगत

संस्कृति मंत्री ह जमराव उत्खनन ले मुले पुरावशेष मन प्रदर्शनी के करिन उद्घाटन
जमराव उत्खनन ले मिले हे एकमुख लिंग, लज्जा-गौरी, कुबेर, बलराम-संकर्षण, मातृदेवी, यक्ष-यक्षी के मूर्ती
टेराकोटा, कांच, शंख पत्थरों ले बने मनका अऊ चूड़ी मन ले मिलथे वो बखत के मनखे मन के जीवन स्तर के संकेत

रायपुर, संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत ह आज महात्मा गांधी जी के 152वीं जयंती म संस्कृति विभाग कोति ले आयोजित आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के बेरा म दुर्ग जिला के पाटन तहसील म खारून नदी किनारे जमराव स्थित प्राचीन टीला मन म साल 2018-19 अऊ 2020-21 म पुरातत्वीय उत्खनन ले प्राप्त मूर्ती, सिक्का, सिलबट्टा, मृतभाण्ड अऊ टेराकोटा आर्ट जइसे पुरावशेष मन के प्रदर्शनी के उद्घाटन के अवलोकन करिन। उमन कहिन कि पुरातत्व विभाग कोति ले ऐतिहासिक महत्व के वस्तु मन ल सहेजे-संवारे के काम करे जात हे। राज्य सरकार ह अइसन ऐतिहासिक अऊ पुरातत्विक महत्व के जगा मन के चयन करके खेदई कराए जात हे, निश्चित ही ए पुरावशेष मन ले अवइया पीढ़ी ल अपन पुरखा मन के रहन-सहन, खान-पान अऊ आन तथ्य मन के संबंध म जाने-समझे ल मिलही।
पुरातत्व विभाग के अधिकारी मन ह बताइन के जमराव पुरातत्वीय उत्खनन ले इहां करीबन दू हजार साल जुन्ना गांव के बसाहट के अवशेष मिलत हे। इहां मिले प्राचीन पुरावस्तु मन ले ज्ञात होथे के ये खारून नदी के तरीघाट ले जुड़े व्यापार मार्ग म स्थित एक महत्वपूर्ण गांव रहिस जे कारीगर मन के बस्ती रहिस। प्राचीन बसाहट के अवशेष अऊ पुरावस्तु मन इतिहास के कई ठन कालखण्ड (मौर्योत्तर काल ले गुप्तोत्तर काल तक) के मिले हे। ए पुरावशेष मन के काल निर्धारण पहिली सदी ईसा पूर्व ले 6वीं सदी तक करे जा सकत हे।
अधिकारी मन ह बताइन के प्राचीन बस्ती के भग्नावशेष अऊ उत्खनन के समय मिले पुरावस्तु मन ले वो बखत के ग्रामीण संस्कृति के कई ठन पहलु मन के जानकारी आगू आवत हे। ये साल के उत्खनन म सबले निचले स्तर के ब्लैक एंड रेड वेयर (बी.आर.डब्ल्यू.) संस्कृति के पात्र-परम्परा संग अस्थि मन के अवशेष घलोक प्राप्त होए हे, जेकर वैज्ञानिक परीक्षण अऊ चारकोल सैम्पल के कार्बन-14 डेटिंग निर्धारण ले जमराव के प्राचीनता अऊ सुदूर अतीत म जाय के संभावना हे। खुदाई म मिले लोहा अऊ कांच के गलन अपशिष्ट, कुंभकार के आवा जइसे साक्ष्य मन के आधार म ये कहे जा सकत हे कि प्रारंभिक ऐतिहासिक काल ले लेके पूर्व मध्यकाल तक जमराव शिल्पकार-कर्मकार (लोहार, कुम्हार, कांच के चूड़ि बनइया कारीगर आदि) के एक पूरा बस्ती रहिस। उत्खनन ले प्राप्त एकमुख लिंग, लज्जा गौरी, कुबेर, बलराम-संकर्षण के मूर्ति अऊ मातृदेवी, यक्ष-यक्षी के मृण्मूर्ति मन ले इहां निवासरत तत्कालीन शिल्पि मन के धार्मिक आस्था अऊ उपासना पद्धति के ज्ञान होथे।
कुषाण कालीन तांबा के गोल सिक्का के संग छत्तीसगढ़ के गज चिनहा वाले स्थानीय वर्गाकार तांबा के सिक्का, बाट-तौल घलोक मिले हे जेन व्यापारिक गतिविधि के प्रमाण हे। वो बखत के मनखे मन के आभूषण जइसे टेराकोटा, कांच, शंख अऊ अर्ध बहूमूल्य पत्थर मन ले बने मनका अऊ चूड़ि, धातु (तांबा) निर्मित छल्ला घलोक मिले हे, जेन वो समें के मनखे मन के आर्थिक जीवन स्तर कोति संकेत करथे। जमराव म उत्खनन काम संचालक श्री विवेक आचार्य के मार्गदर्शन अऊ डॉ. पी.सी. पारख के निर्देशन म पूरा कराए जात हे।

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