बारा महिला मन के समूह ह मछली पालन म दीन पुरूष मन ल टक्कर

गांव के तालाब ल पट्टा म लेके, ये सीजन करिन सवा लाख रूपिया के व्यवसाय
मछली पालन ह करिस बेटी के भविष्य घलोक सुरक्षित, समूह के गरिमा घलोक बढ़ाईस

कोरबा, आर्थिक रूप ले कमजोर परिवार मन बर छत्तीसगढ़ सरकार के योजना मन अब वरदान साबित होवत हे। स्थानीय स्तर म गांव मन म ही मौजूद संसाधन मन ले विकास के रद्दा बनाए के छत्तीसगढ़ी मॉंडल अब पूरा देश म लोकप्रिय होए लगे हे, त स्थानीय निवासी मन के माली हालत घलोक सुधरे लगे हे। कोरबा जिला के पाली विकासखंड के नवापारा कपोट गांव के 12 महिला मन ह घलोक ये मॉडल ल जीवंत कर देखाए हें। बारा महिला मन के गरिमा स्वसहायता समूह ह ग्राम पंचायत के डुग्गूमुड़ा तालाब म मछली पालन करके पाछू चार-पांच महिना म ही करीबन सवा लाख रूपिया के व्यवसाय कर लेहे हे अऊ एखर से साठ हजार रूपिया ले जादा के शुद्ध आय घलोक कमा डरे हें। ये आय ले कोनो अपन घर चलावत हें त कोनो अपन लइका मन के पढ़ई के खरचा उठावत हें। समूह के अध्यक्ष अमृता पावले ह तो ये कमई ले अपन साढ़े तीन साल के बेटी महिमा के भविष्य घलोक सुरक्षित कर लेहे हे। श्रीमती पावले ह अपन बेटी के नाम ले सुकन्या समृद्धि योजना के तहत पांच सौ रूपिया प्रति महिना जमा करना घलोक शुरू करे हे। पुरूष मन के वर्चस्व वाले मछली पालन जइसे व्यवसाय ह ए महिला मन ल पूरा विकासखंड म अलग पहिचान देहे हे अऊ ए महिला मन ह अपन मेहनत ले अपन गरिमा तो बढा़एच हें संगें संग महिला स्वसहायता समूह के गरिमा घलोक बढ़ाए हें।
समूह के अध्यक्ष श्रीमती अमृता पावले बताथें के पहिली मेहनत मजदूरी करके जइसे तइसे परिवार के भरण पोषण चलत रहिस। बने सहिन जीए बर परिवार के आमदनी म हाथ बटाए के सोच ल मछली पालन विभाग के अधिकारी मन ह बल दीन अऊ अइसन बारा महिला मन ले उमन गरिमा महिला स्वसहायता समूह बनाइन। गांव के करीबन ढाई एकड़ के शासकीय डुग्गूमुड़ा तालाब ल पाछू साल ले आगू 10 साल बर लीज म लीन। श्रीमती अमृता पावले बताथे के पहिली साल तो मछली पालन ले जादा फायदा नइ होइस फेर मछली पालन के अच्छा अनुभव मिलीस। मछली पालन विभाग के अधिकारी मन ह मछली पालन के तरीका सिखाइन, विभागीय योजना के तहत मछली बीज, पूरक आहार, जाल आदि घलोक देवाइन। ये साल बरसात के शुरूआत म ही डीएमएफ मद ले रोहू, कतला, मृगला जइसे मिश्रित मछली बीज, ग्रास कार्प, कामन कार्प मछली बीज अऊ संतुलित परिपूरक आहार मिलीस। ये मछली बीज ल तालाब म डालके ये पइत आधुनिक तरीका ले मछली पालन करिन हे। पाछू चार-पांच महिना म ही मछली मन म बनेच बढ़ोत्तरी हो गीस अऊ ये सीजन म गरिमा स्वसहायता समूह ह करीबन साढ़े आठ सौ किलो मछली निकालके स्थानीय बाजार म बेचे हे। श्रीमती पावले बताथे कि थोक व्यापारी खबर देहे म तालाब म आथें अऊ बोली लगाके मछली खरीद के ले जाथें। पाली अऊ बनबांधा गांव के स्थानीय बाजार म घलोक मछली बेचे जाथे। श्रीमती पावले ह बताइस कि ये सीजन म अभी तक करीबन सवा लाख रूपिया के मछली बिक गए हे जेखर से समूह ल साठ हजार रूपिया ले जादा के शुद्ध आय होए हे। ये लाभांश ल समूह के बैंक खाता म जमा करे गए हे। लाभांश म ले कुछ पइसा बचाके बाकी राशि ल सदस्य मन म बराबर-बराबर बांटे जाथे। ये साल मछली पालन विभाग के मौसमी तालाब मन म स्पॉन संवर्द्धन योजना के तहत समूह ल 25 लाख मिश्रित स्पॉन दे गए हे। समूह ह ये मां ले 10 हजार स्टे फ्राई के विक्रय करे हे अऊ करीबन 20 हजार स्टे फ्राई अभी तालाब म संचित हे। मछली पालन ल आगू बढ़ाए अऊ उत्पादन म वृद्धि करे के घलोक समूह के योजना हे।

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