इतवारी: तोर धरती तोर माटी रे भइया !!

एकता म बल अउ भल सिरजथे- सँवरथे त अनेकता म छल, खल अउ दल पनपथे। खल मन छल -छेदा के भरोसा दल बनाके अपन सुवारथ ल पोसत पालत गाँव, समाज अउ देश ल घालत रहीथे। विकास के पाँव ल उसेल के खोरवा-लँगड़ा कर देथे। ये बात ल कतकोन गुनी, ग्यानी अउ गुरू मन कही डारीन, फेर अकेल्ला खाए- मारे टकराहा अटेलिहा, अपखया अउ अप्पत मानुस चोला ये गरू गुनान गोठ के गहिरई म गोता लगाए के गुर ल नई अजमा पाइन।

ककरो दिवस मनाए भर ले दशा अउ दिशा म सुधार हो जतिस, दिन बहुर जतिस त दुव्र्यवस्था, दुर्दशा अउ दुकाल के दर्शन दुर्लभ हो जतिस। बछर म कोरी -खइरखा दिवस मना डारत होबोन, फेर ओ दीया के भीतर ल कभू झाँक के नई देखे पाएन, जेकर अँजोर ले जगमगाथन। न ओमे भराए रसा ल नीचो पाएन जेला चुहक के सजोर होथन अउ सँवरथन।

देश म किसान दिवस 23 दिसम्बर के मनाए जाथे। बात सिरिफ किसान दिवस के नई हे। गोठ उन अन्नदाता, जगपालक, महान माटीपुत्र मयारू मनखे मन के करतब, करम अउ कमाल के हवय, जिन्कर कहानी काहत इतिहास के कंठ नई सुखावय, अउ जिन्कर गाथा गावत सगरी नई उफनावय। उन्कर सुरता समारोह अउ दिवस मान तभे सही, सार्थक अउ सफल हो सकथे जब हम उन्कर बताए रद्दा म चल सकन। अइसे तो कतको कर लेवन सबो उन्कर एके ठो बूता के आगू म कमती हे फेर निस्वार्थ भाव ले उन्कर बताए रस्ता म चलके देश अउ समाज के सेवा करई ही उन्कर प्रति हमर सहीच के श्रद्धा अउ सम्मान हो सकथे। कहूँ अइसे झन होवय कि किसान के नान्हे पोरा तको जुच्छा कोरा रही जावय अउ मुसुवा मन उन्कर अन-धन भरे बोरा ल चीर-छेदके कोरा कर देवय। अइसन म ‘छानही म होरा भूँजय’ के कहावत ल फलित होवब म चिटको देरी नई होही।

छत्तीसगढ़ म सहकारी आंदोलन अउ मजदूर आंदोलन के जनक ठाकुर प्यारे लाल सिंह के जनम 21 दिसम्बर 1891 के राजनाँदगाँव जिला के दैहान गाँव म दीनदयाल सिंह अउ नर्मदादेवी के कोरा म होए रिहिस। शिक्षा राजनाँदगाँव अउ रइपुर म होइस। उन सन 1909 म ‘सरस्वती पुस्तकालय’ के स्थापना करीन। बीएनसी (बंगाल नागपुर काॅटन) मिल मजदूर हड़ताल के 1921 म अउ 1923 म नागपुर म ‘सत्याग्रह आंदोलन ’ के अगुवई करीन। किसान हित बर 1930 म बंदोबस्त के विरोध म पट्टा झन लौ, लगान झन दौ के आंदोलन करीन। 1937 म राजनीतिक बड़ोरा के बीच अपन आप ल सिरजावत, सँभालत, सँवारत रइपुर नगरपालिका के अध्यक्ष बनीन। 1945 म छत्तीसगढ़ बुनकर सहकारी संघ के स्थापना करीन। 1951 म आचार्य कृपलानी के कृषक मजदूर प्रजा पार्टी के प्रदेश संयोजक बनीन। सन 1952 म रइपुर ले विधानसभा के सदस्य के रूप म चुनाकेे विरोधी दल के नेता बनीन। विनोबा भावे के ‘भूदान‘ अउ ‘सर्वोदय आंदोलन‘ ल छत्तीसगढ़ म बिरवा रोप के सीचींस, सँवारीस अउ बगराइस। इही भूदान यात्रा के बेरा 20 अक्टूबर 1954 म अस्वस्थ होगे अउ भूइँया के भूदान यात्रा ल अपन सरग यात्रा बना लीन।
उन शराबबंदी, हिन्दू-मुस्लिम एकता, नमक कानून टोरे अउ दलित मन के ऊँचान उठान बर सरलग बूता करीन। साप्ताहिक ‘राष्ट्रबंधु’ पत्रिका तको निकालीन। उन अपन जिनगी भर नाँगरजोत्ता किसान अउ जाँगरपेरूक बनिहार के हित बर सोचीन अउ करीन। सही मायने म नाँगर अउ जाँगर के मान -सम्मान ल उही जानीन, समझीनन अउ मानीन। वर्तमान सरकार ह ओकर सुरता ल सँजोके सरीदिन, सरलग अउ सजोर रखे खातिर सहकारिता के क्षेत्र म पोठलगहा बूता करइया ल ‘ठाकुर प्यारेलाल सिंह सहकारिता सम्मान’ देथे।

छत्तीसगढ़ के पहिली सपना देखइया अउ‘छत्तीसगढ़ के गाँधी’ नाम के पागा पहिरइया पंडित सुन्दरलाल शर्मा 21 दिसम्बर 1881 के महानदी के कोरा म बसे राजिम के एक ठो गाँव चंद्रसूर म दाई देवमती अउ ददा जगलाल तिवारी के घर होइस। संस्कृत, मराठी, बंगाली अउ उडि़या भाषा के बने जानकार रिहीन। 1907 म राजिम ‘संस्कृत पाठशाला’ के स्थापना करीन। उन हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी म 18 ग्रन्थ के रचना करे हे, जेमा छत्तीसगढ़ी के प्रबंध काव्य शैली म लिखे ‘दान-लीला’ (1912) ह साहित्य संसार म अबड़े सहिराए जाथे। छत्तीसगढ़ी म ‘दुलरूवा’ अउ हिन्दी म ‘कृष्ण जन्मस्थान’ पत्रिका निकाल के उन पत्रकारिता के क्षेत्र म अपन काम अउ नाम के खमिहा गडि़याइन। सन 1918 म राजिम म जनेऊ कार्यक्रम के संचालन करीन। उन्कर ये हरिजन उद्धार के बूता ल गांँधी जी तको अबड़े सहिराइन अउ अपन गुरू माने लगीन। सन 1920 म धमतरी के ‘कँडेल नहर सत्याग्रह’ के बहाना गाँधी ल पहिली पइत छत्तीसगढ़ लाने के श्रेय पं. सुन्दरलाल शर्मा ल जाथे। उन्कर उदीम ले राजिम के राममंदिर म हरिजन मन के प्रवेश (1925) सुलभ अउ संभव हो सकीस। सादा जीवन ऊँच विचार धारक, समाज सुधारक शर्मा जी 28 दिसम्बर 1940 के हमन ल छोड़ सरगवासी हो गइन। उन्कर सुरता म आँचलिक साहित्य बर सरकार कोति ले हरेक बछर ‘पं. सुन्दर लाल शर्मा सम्मान’ देहे जाथे। उन्कर मान अउ सम्मान म 20 जनवरी 2005 के बेलासपुर म ‘पं. सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय’ के स्थापना तको करे गे हवय।

मेहनत, माटी अउ मया के मितान किसान मन के सम्मान म भारत देश हरेक बछर 23 दिसम्बर के ‘किसान दिवस’ मनाथे। ये दिन देश अथक, अनवरत अउ आजीवन कमइया अन्नदाता मन ल सोरियावत उन्कर प्रति आभार व्यक्त करथे। 23 दिसंबर के देश के पाँचवा प्रधानमंत्री अउ पोठहर किसान नेता चैधरी चरण सिंह के जयंती हरे। कुछ महीना बर देश के प्रधानमंत्री रहे चैधरी चरण सिंह ह किसान अउ किसानी के ऊँचान-उठान अउ सुधार बर बड़का, मुड़का अउ पोठ भूमिका निभाईन। उन काहय कि किसान मन के दशा बदलही-सुधरही, तभे देश सही दिशा म आगू बढ़ही। उन्कर सम्मान खातिर भारत सरकार ह 2001 म 23 दिसंबर ल किसान दिवस के रूप म मनाए के फैसला करीन। 23 दिसंबर, 1902 के उत्तर प्रदेश के एक किसान परिवार म जन्में चैधरी चरण सिंह गाँधी जी ले अबड़े प्रभावित रिहीन अउ सुराज खातिर अंग्रेजन के खिलाफ लड़ीन। सुराज आए के पीछू तको उन किसान मन के हित बर किरिया खाए रिहिन अउ सरलग बूता करीन। उन्कर राजनीति मुख्य रूप ले गँवई भारत, किसान अउ समाजवादी सिद्धांत ऊपर केन्द्रित रिहीन। उन उत्तर प्रदेश के दू पइत ले मुख्यमंत्री बनीन। उत्तर प्रदेश के जमींदारी अउ भूमि सुधार बिल के रूपरेखा उन खुदे तियार करे रिहिसे। देश के कृषि मंत्री रहीते जमींदारी प्रथा ल खतम करे बर भक्कम उदीम करीन अउ ‘किसान ट्रस्ट’ के स्थापना करीन, जेकर लक्ष्य अन्याय के उलट देश के गँवइहा मन ल शिक्षित करना अउ उन्कर बीच एकजुटता ल बढ़ावा देके उन्कर सही विकास करना रिहीन। किसान दिवस के पबरित, सुपरित अउ शुभ बेरा म जम्मो अन्नदाता अउ भूइँया के भगवान ल बारम्बार प्रणाम, संगे-संग अल्लार शुभकामना।

जय किसान.. जय अन्नदाता..

जय जोहार !!
धर्मेन्द्र निर्मल

लउछरहा..