रायपुर 19 मई 21। आधुनिकता ले दूर अबूझमाड़ के जाटलूर म पदस्थ एएनएम कविता इहां के गांव वाले मन बर मसीहा ले कम नइ हे। अबूझमाड़ के बीहड़ गांव मन म कविता पूरा उत्साह ले अपन काम करत हे। ओ ह इहां 8 साल ले पदस्थ हे। रोज अंदरुनी गांव मन तक खांधा म मेडिकल किट त कभू वैक्सीनेशन बॉक्स लेके पहुंचथे। कविता गांव वाले मन ल कोरोना संक्रमण ले बचाय बर जी जान ले लगे हे।
गांव वाले मन ओ ल डॉक्टर दीदी कहिथें.। जाटलूर के अंदरूनी गांव मन तक पहुंचे बर सड़क नइ हे अऊ संचार के साधन घलोक कम हे। ओ ह जाटलूर संग पदमेटा, रासमेटा, कारंगुल, लंका अऊ आन गांव मन के गांव वाले मन तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचावत हे। अबूझमाड़ के ग्रामीण कोरोना टीकाकरण ल लेके जागरूक नइ हे, समझाए के बादेच तियार होत हें।
कविता पात्र बताथे के ओरछा ब्लॉक के लंका गांव तक पहुंचे बर दंतेवाड़ा अऊ बीजापुर जिला ले होके, भैरमगढ़ मार्ग ले एक दिन लगथे। उहें कहूं ओरछा ले लंका पहुंचना हे त दू ले तीन दिन लग जाथे। ते पाए के कई पईत वोला दंतेवाड़ा अऊ बीजापुर जिला मन ले होके जाना परथे। जाटलूर संग आन गांव मन तक पहुंचे बर नदी-नाला, घना जंगल, पहाड़ी, पथरीला रास्ता ले होके जाना परथे।. जाटलूर ले हर एक गांव के दूरी 20 ले 25 किलोमीटर हे। अइसन म डिलीवरी अऊ लइका मन ल टीका लगाय म कई प्रकार के कठिनाइ मन के सामना करना परथे। गर्भवती महिला मन ल इमरजेंसी के समय उहें उचित इलाज मुहैया कराए के कोसिस होथे। जादा गंभीर मरीज मन ल कावर के सहारे ओरछा मुख्यालय तक गांव वाले मन के मदद ले ले जाए जाथे। कविता कहिथे के सेवा के समय गांव वाले मन के जेन प्यार ओ मन ल मिलथे, ओखर से वोकर जम्मो तकलीफ दूर हो जाथे।