ए बछर के शुरुआत म जहाँ जम्मों मनखे मन सोचे रिहिन कि ए बछर मा हम अपन जिनगी के सबले बढ़िया बछर ला बिताबोन। फेर कोन जनि मनखे मन के को जनम के बदला ला ए प्रकृति हा ओकर से लेवत हे। कोरोना वाइरस नाव के महामारी हा पूरा दुनिया ला तपो डारे हे। ए कठिन बेरा म हमर छत्तीसगढ़िया संगवारी मन कोरोना से लड़े बर देश म मिशाल पेश करत हे।हमर छत्तीसगढ़िया लोगन मन के ए खास जिनिस के आया कि हमन कोनो समस्या ला डरन नही अउ ओकर…
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आलेख: छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरूवा, घुरुवा अउ बारी : ग्रामीण क्षेत्र मन म आर्थिक गतिविधि शुरू
शशि रत्न पाराशर, सहायक संचालक, जनसंपर्क के हिन्दी आलेख के छत्तीसगढ़ी अनुवाद नारायणपुर 05 मई 2020। छत्तीसगढ़ राज्य बने के बाद घलव इहां के असली निवासी अउ रहइया मन ल विकास के वो लाभ नइ मिल सकीस, जेकर ओ मन असली हकदार रहिन। गिरत भू-जल स्तर, खेती म लागत के बढ़ोत्तरी, मवेशी मन बर चारा संकट आदि ह स्थिति ल अऊ भयावह बना देहे हे। साल 2019 के आखरी महिना म नवा सरकार के गठन के बाद ले, ये छत्तीसगढ़ अइसन बदलिस के गांधी के सिद्धांत म चले लागिस। मुख्यमंत्री…
जनमदिन म छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल ल बेमेतरिहा के चिट्ठी
जय जोहार, छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल ल जनमदिन के गाड़ा-गाड़ा बधई. जब ले आप हमर राज के मुखिया बने हव आप के काम-कारज के चरचा देस के संग-संग बिदेस म घलोक होत हे. वइसे होना भी चाही, काबर जतका कारज अभी छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़िया के हित म आप करे हव, अतका कम समय म मध्यप्रदेश ले लेके छत्तीसगढ़ के अलग राज बने के 18 बछर तक कोनो मुखिया नइ करे रहिस. अइसन म आपके बढ़ई तो होना ही चाही. नरवा-गरवा, घुरवा-बारी, छत्तीसगढ़ के ये हे चार चिन्हारी के जेन…
विशेष लेख :तीज तिहार बांचही तभे छत्तीसगढि़या संस्कृति घलव बांचही
-सौरभ शर्मा अपन सांस्कृतिक धरोहर मन ल सहेजे बर हरेली अऊ तीज तिहार म मुख्यमत्री श्री भूपेश बघेल के सार्वजनिक अवकाश के घोषणा अपन सांस्कृतिक जर मनल मजबूत बनाए अऊ छत्तीसगढि़या अस्मिता ल संवारे के दिशा म बड़का पहल रायपुर, हरेली अऊ तीजा छत्तीसगढि़या के जीवन के सबले बड़े तिहार ये। बेटी मन उछाह ले अपन मइके जाथें। ऊंखर भाई ओ मन ल लेहे आथें। एक हिसाब ले येकर से बेटी मन के बचपन फेर लहुट आथे। अइसनहे आप मन जानथव के हरेली किसान के समृद्धि के तिहार हे। ये…
न्यूज पोर्टलों को विज्ञापन अब एनेलेटिक यूजर संख्या के आधार पर मिलेंगें
यह समाचार सुखद, उल्लास कारी और चमत्कारी है। वर्तमान राजनीतिक समय में इस समाचार के गहरे अर्थ हैं। कल तक होता यह था कि, वेब न्यूज पोर्टलों को जनसंपर्क / संवाद के उच्चाधिकारियों की अनुशंसा से विज्ञापन जारी होता था। यह देखा नहीं जाता था कि वेबसाइट के कितने वास्तविक पाठक हैं। कम पाठक वाले वेबन्यूज प्रबंधक / पत्रकार भी अपनी पहुंच की वजह से विज्ञापन पा रहे थे। बात प्रतीकों में कहें तो अच्छे पाठक वाले वेब प्रबंधकों / पत्रकारों को गिड़गिड़ाते हुए भीख मांगना पड़ता था तब जाकर…