तुतारी – राजधानी के मुहाटी

सियानमन कहयं बाजार हाट मेला मड़ई गए अउ धक्का नइ खाए त का खाए ? ये नवा जुग हरे। हमर राजधानी रायपुर मेला ले कोनो कम थोरे हे। राजधानी के मुहाटी टाटीबंद चौक म पहुना के अइसन स्वागत होथे, त सगा के मन ले उद्गार निकलथे – राजधानी आए अउ धुर्रा नइ खाए त का खाए ?

तुतारी – परेड थम्म….

अरे ! दूएच महीना भर दम धर लौ न रे भइया हो, ताहेन सरी दिन सरी राज तो तुँहरेच चलना हे। अउ कभू तुमन ल काँही करे हवन जेन आज कर सकबोन। अउ लिखाके ले लेवव भविष्य म तको काँहिच नइ करे सकन। हमन ल तो खाली परेड करना हे। अरे ! जेकर सँइया भए कोतवाल। कोन करही बाँका बाल। जय लड्डुगोपाल ।