जुगाड़ –

जुगाड़ – हमन तो जनम के घर परिवार, गाँव समाज अउ माटी ले जड़ से जुड़े जमीनी मनखे हरन साहेब ! ये जुगाड़ अउ चापलूसी सबद मन ल पान म रचे तुँहरे मुँह ले सुनथन। अब तुमन छत्तीसगढ़ माटी के जड़ ले जुड़े मनखे ल टिकट देहू कि तुँहर अँगना दुवारी के माटी ले जुड़े मनखे ल देहू, तुँही मन जानव। हमर तो सेवा जनमजात धरम हरे तेकर सेति बैरी ल तको ऊँच पीढ़ा दे देथन।

तुतारी – का आदमी अस

हम तो अतके चाहत रेहेन साहेब कि हमर छत्तीसगढ़ी बाचे राहय, हिन्दी ल बने ढंगलगहा बोले बताए अउ लिखे उचारे बर जान सीख लेवन तेकर पीछू अंग्रेजी के पूछी ल धरतेन, फेर इहाँ तो सबे खदर बदर होवत हे। का आदमी अस अपन भासा के बोल न जाने,                   अपन भासा के मोल न जाने।                   जनम देवईया जग के पहिली,                    माँ सबद के तोल…