ये पार राहुल ओ पार राहुल बीच म बघेलं !!

आया के धरहा अउ चोक्खा कैंची-चाकू ले काट-बोंगके जनमे चीरहा जींसधारी लइका मन के धियान कोन कोति गिस होही तेला नइ बता सकवँ। फेर गँवइहा दाई के मीठ मया भरे गारी, अथक मेहनत अउ सार्थक साधक हाथ ले अवतरे धोती युगीन मनखे मन के मइन्ता म इहीच आइस होही। ये पार नदी वो पार नदी, बीच म ठुड़गा रूख रे !! सोन चिरइया गार देहे, हेरे के बेरा दुख रे !! हहो जी ! आप बिल्कुल सही पकड़े हैं। हम तभो धोती युगीन रहे हवन अउ आजो धोती युगीन हवन।…

इतवारी: उरमाल म वो गजामूंग !!

जेकर अंतस म जीए के ललक होथे, वोह कोनो डाहर ले होवय उछाह के अंँचरा ल थाम डारथे। गजामूंग छत्तीसगढ़ म मितानी परम्परा के एक ठो रस्ता हरे। लहू अउ परिवार के रिस्ता ले हटके एक ठिन अउ रिस्ता होथे-मया के। मया के ये रिस्ता ल मयारूक मन मितानी के नाम देथे। मितानी परंपरा म भोजली, जँवारा, दौनापान, तुलसी, महापरसाद असन गजामूंग के तको चलागन हे। महापरसाद अउ गजामूंग भगवान जगन्नाथ के परसाद हरे। महापरसाद भात के सीथा (चुरे चाऊँर) अउ गजामूंग माने पीकीयाए (अंकुरित) मूंग। बस्तर के गोंचा परब…

इतवारी: योगा हमरे ले होगा !!

योग सबद संस्कृत से लिए गे हवय जेकर मायने जुड़ना या एकजुट होना होथे। अंगरी-अंगरी जुड़ मुटका बनके शक्तिशाली हो जथे। एक अउ एक ग्यारह एक के अपेक्षा जादा ताकतवर होथे। वइसने योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया हरे जेमा शरीर, मन अउ आत्मा ल आपस म संघारे (योग) जाथे। योग के संयोग ल आत्मा म हृष्ट-पुष्ट अउ सजोर बनाए जा सकथे। भारतीय दर्शन के षडदर्शन म एक के नाम योग हवय। योग सबद के उल्लेख ऋग्वेद म मिलथे। महर्षि पतंजलि ल योग दर्शन के संस्थापक माने जाथे। ओकर लिखे योगसूत्र ह…