तुमन दूनो के दूनो ? हाँ, साहब ! हमन एके माई के लाल हरन। एके गाय के दूध पीथन। लीपी चारा चरथन अउ गोबर …..
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तुतारी – टिकिट के गोठ
तिहारी – हमर सेठ टिकट के जुगाड़ म लगे हे, सुनब म आवत हे कि लगभग तय हे। बिहारी – हमरो सेठ लगे हे बइहा। वोला कहूँ टिकट मिलगे न त पक्का निकाल लिही देखबे। तिहारी – सिरतोन काहत हावस ? बिहारी – अरे ! बिल्कुल। हमर सेठ ह न पइसा ल पानी के तरह बोहवाथे। तिहारी – चुनाव म पइसा ल पानी के तरह बोहवाही त ओइसनेहे जीते के बाद गन्ना बरोबर पेरके जूस तको तो पीही। येला काबर नइ सोचस। सेठ ह सेठे मन देखही अउ गरीबहा मन…
तुतारी –
तुतारी – हाथ हलावत आइन तेमन पा लिन हण्डा काँसा के छत्तीसगढ़िया भूखमर्रा चुचरय लालीपॉप दिलासा के।। उन्कर तो लीमऊ तको होथे कलिन्दर अतेक बड़े मुँह फार देखौ भैयाजी बिसात बिछत हे पासा के।।
जुगाड़ –
जुगाड़ – हमन तो जनम के घर परिवार, गाँव समाज अउ माटी ले जड़ से जुड़े जमीनी मनखे हरन साहेब ! ये जुगाड़ अउ चापलूसी सबद मन ल पान म रचे तुँहरे मुँह ले सुनथन। अब तुमन छत्तीसगढ़ माटी के जड़ ले जुड़े मनखे ल टिकट देहू कि तुँहर अँगना दुवारी के माटी ले जुड़े मनखे ल देहू, तुँही मन जानव। हमर तो सेवा जनमजात धरम हरे तेकर सेति बैरी ल तको ऊँच पीढ़ा दे देथन।
तुतारी – का आदमी अस
हम तो अतके चाहत रेहेन साहेब कि हमर छत्तीसगढ़ी बाचे राहय, हिन्दी ल बने ढंगलगहा बोले बताए अउ लिखे उचारे बर जान सीख लेवन तेकर पीछू अंग्रेजी के पूछी ल धरतेन, फेर इहाँ तो सबे खदर बदर होवत हे। का आदमी अस अपन भासा के बोल न जाने, अपन भासा के मोल न जाने। जनम देवईया जग के पहिली, माँ सबद के तोल…