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राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी : छत्तीसगढ़ अऊ ओडिशा के सांस्कृतिक विरासत उपर होइस चर्चा

रायपुर 8 फरवरी 2020। ‘छत्तीसगढ़ के पुरातत्त्व अऊ पड़ोसी राज्य मन ले संबंध’ उपर केन्द्रित तीन दिन के राष्ट्रीय शोध-संगोष्ठी के शुभारंभ महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय, रायपुर के सभागार म करे गीस। ए संगोष्ठी के आयोजन छत्तीसगढ़ के संस्कृति विभाग कोति ले करे जात हे। संगोष्ठी म कुल 55 शोधपत्र प्रस्तुत करे जाही। शुभारंभ सत्र म काली कुल 18 शोधपत्र मन के वाचन अऊ पावर प्वाईंट के माध्यम ले प्रदर्शन होइस। ए मौका म संस्कृति विभाग के वार्षिक शोध पत्रिका कोसल के 11 वां अंक, महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय रायपुर के मार्गदर्शिका प्रगती के सोपान पुस्तिका अऊ राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के शोध संक्षेपिका के विमोचन करे गीस।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र म मुख्य वक्ता के रूप म प्रो. एस.सी. पण्डा, सम्बलपुर ह अपन उद्बोधन म प्राचीन दक्षिण कोसल के अंतर्गत छत्तीसगढ़ अऊ पश्चिमी ओडिशा के समाहित होए अऊ दुनों के सांस्कृतिक समानता मन उपर विस्तार ले अपन बात कहिन। उमन कहिन कि भुवनेश्वर संग महानदी के तट म स्थित ओडिशा के जादातर मंदिर सोमवंशी राजा मन के संग बनवाए गए रहिस, जेकर राजधानी सिरपुर रहिस।

राष्ट्रीय संगोष्ठी म उत्कल विश्वविद्यालय भुवनेश्वर के कुलपति प्रो. ब्योमकेश त्रिपाठी ह छत्तीसगढ़ अऊ ओडिशा के संबंध म कहिन कि ए दुनों राज्य मन के संस्कृति अऊ सांस्कृतिक विरासत संघरा हे। दक्षिण कोसल म जउन ताराकृति मंदिर अऊ रिपोजे सिक्का मिलथे वो ह बाकी भारत म नइ मिलय। उमन कहिन कि भारत के हृदय स्थल म स्थित छत्तीसगढ़ के पुरातत्त्व अऊ ओखर आन पड़ोसी राज्य मन ले संबंध मन के अध्ययन एक सामयिक अऊ महत्वपूर्ण विसय हे। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ के शोधार्थी मन ह छत्तीसगढ़ के कई ठन अंचल के प्रागैतिहास, मृत्तिकागढ़, प्राचीन धर्म उपर शोधपत्र मन के वाचन करिन।

वाराणसी ले आये वरिष्ठ विद्वान प्रो. डी.पी. शर्मा ह गुंगेरिया के ताम्राश्म निधि अऊ आन पड़ोसी राज्य मन के आगू उदाहरन मन के तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करिन। डॉ. प्रबाश साहू ह इहां के शैलचित्र अऊ पड़ोसी राज्य मन के शैलचित्र मन उपर शोध प्रस्तुत करिन। श्री जे.आर भगत अऊ सुश्री दीप्ति गोस्वामी ह पाटन तहसील के तरीघाट उत्खनन ले मिले सिक्का मन के विशेषता मन के बारे म जानकारी दीन।

कांकेर के शोध छात्रा भेनु ह गोंडी वेशभूषा म घोटुल विसय उपर अपन शोध प्रस्तुत करिन। ए शोध बर खुद गोटुल के सदस्य के रूप म रहिके उमन अध्ययन करे हें। उमन गोटुल के संबंध म पहिली के प्रचलित-लिखित भ्रामक तथ्य मन के खण्डन घलोक करिन। ए बेरा म म संस्कृति विभाग के सचिव श्री अन्बलगन पी. ह स्वागत उद्बोधन दीन अऊ पुरातत्त्व के क्षेत्र म जादा से जादा काम करे के जरूरत बताईन। ए बेरा म संस्कृति मंत्री के विशेष सहायक डॉ. अजय शंकर कन्नौजे घलोक उपस्थित रहिन।

ए बेरा म म श्री ए.के. शर्मा, डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र, प्रो. एल.एस. निगम, श्री अशोक तिवारी, डॉ. आर.के. बेहार, श्री जी.एल. रायकवार, डा. शम्पा चौबे रायपुर, प्रो. एस.के. सुल्लेरे जबलपुर, डॉ. चंद्रशेखर गुप्त नागपुर, डॉ. आर. एन. विश्वकर्मा खैरागढ़, डॉ. शंभुनाथ यादव आन राज्य मन ले आए विद्वान प्रतिभागी उपस्थित रहिन।

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