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कलंक हे लिव ए रिलेशनशिप म रहना, हाईकोर्ट के जज ह करिन टिप्पणी

बिलासपुर, 07 मई 2024। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ह एक मामला म लिव ए रिलेशनशिप ल लेके जबर टिप्पणी करे हे। जस्टिस गौतम भादुड़ी अऊ जस्टिस संजय एस अग्रवाल के डिवीजन बेंच ह कहिस, ‘यह पाश्चात्य अवधारणा है, जो भारतीय रीति के विपरीत है। समाज के कुछ क्षेत्रों में लिव इन रिलेशनशिप भारतीय संस्कृति पर कलंक के तौर पर जारी है। एक विवाहित व्यक्ति के लिए लिव इन रिलेशनशिप से बाहर आना आसान होता है, लेकिन इससे अलग हुए व्यक्ति की दशा दुखद होती है। ऐसे संबंध से हुए बच्चे को लेकर न्याय पालिका आंखें बंद कर नहीं कर सकती।’

जानबा हे के दंतेवाड़ा के रहवईया शादीशुदा अब्दुल हमीद सिद्दिकी करीबन तीन साल ले एक हिंदू महिला के संग लिव ए रिलेशनशिप म रहिस। 2021 म महिला ह धर्म बदले बिना ओखर संग बिहाव कर लीस। पहली पत्नी कोति ले ओखर तीन लइका हे। संबंध के चलते हिंदू महिला ह अगस्त 2021 म लइका ल जन्म दीस। 10 अगस्त 2023 के महिला अपन लइका के संग गायब हो गे। एखर बाद अब्दुल हमीद ह 2023 म हाई कोर्ट म बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाईस, जेकर सुनवाई म महिला ह अपन माता-पिता अऊ लइका के संग पेश होइस।

महिला ह कहिस कि वो अपन इच्छा से अपन माता-पिता के संग रहत हे। लइका ले मिले नइ देहे म अब्दुल हमीद ह फैमिली कोर्ट म आवेदन प्रस्तुत करे हे। वो ह कहे हे कि वो लइका के देखभाल करे म सक्षम हे, ते पाए के लइका ओला सौंपे जाय। कोर्ट ह वोकर आवेदन ल खारिज कर देहे हे। ए पाए के ओ ह हाई कोर्ट म याचिका लगाए हे। याचिका म वो ह तर्क देहे हे कि ओ ह मोहम्मडन लॉ के मुताबिक दुसरइया बिहाव करे हे, एखर सेती उंखर शादी वैध हे। अइसन म वो लइका के नेचुरल गार्जियन हे। उहें, महिला ह तर्क देहे हे के हिंदु विवाह अधिनियम के तहत पहिली पत्नी के रहत दुसरइया शादी वैध नइ होवय। लिव ए रिलेशनशिप ले होए लइका उपर पुरूष के हक नइ बनय। हाई कोर्ट ह सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दीस।

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