छत्तीसगढ़ी भाखा अस्मिता अऊ लोक संस्कृति ल पहिचान देवाए म डॉ.नरेन्द्र देव वर्मा के योगदान अमूल्य: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री ह छत्तीसगढ़ राज्य-गीत के रचयिता डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा ल उंखर जयंती म करिन नमन

रायपुर, 04 नवम्बर 2020। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ह प्रसिद्ध साहित्यकार, भाषाविद् अऊ छत्तीसगढ़ राज्य-गीत के रचयिता डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा ल उंखर जयंती म ओ मन ल नमन करे हें। आज 4 नवम्बर के डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा के जयंती हे। मुख्यमंत्री ह डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा ल सुरता करत उमन कहिन के डॉ. वर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहिन। उमन कवि, चिंतक, उपन्यासकार, नाटककार, सम्पादक अऊ मंच संचालक जइसे कई भूमिका मन म अपन अमिट छाप छोड़े हें। अंगरेजी म घलोक उमन अपन रचना लिखे हें। अपन ओजपूर्ण वाणी अऊ अकाट्य तर्क मन ले ओ मन कोनो ल भी पलभर म प्रभावित करे के क्षमता रखत रहिन। युवा उत्सव के समारोह म उमन अपन विचार ले तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ल घलोक गहराई तक प्रभावित करे रहिन। ’अरपा-पइरी के धार, महानदी हे अपार……’ के रूप म उमन अमर रचना देहे हें, जेमां छत्तीसगढ़ महतारी के वैभव एक बारगी साकार हो उठे हे। ये गीत डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा के पहिचान अऊ छत्तीसगढ़ के मान बन गए हे। उंखर कलम ले निकले ये गीत राज्य गीत के रूप म आज बस्तर ले लेके सरगुजा तक छत्तीसगढ़ वासी मन के आत्मा के गान बन गए हे। छत्तीसगढ़ के अइसन वंदना ओखर सच्चा सपूत ही कर सकत हे।

श्री बघेल ह कहिन के डॉ.नरेंद्र देव वर्मा ह जऊन भी लिखिन, वो मनखे मन के अंतरआत्मा म उतर गीस। उंखर रचना मन म छत्तीसगढ़ के जनजीवन अऊ संस्कृति के सजीव चित्रण मिलथे। ऊंखर हिंदी उपन्यास ‘सुबह के तलाश‘ जब छत्तीसगढ़ी म अनुवाद के बाद ‘‘सोनहा बिहान‘‘ के रूप म मनखे मन के बीच रंगमंच के माध्यम ले पहुंचिस, तब ए हर आम मनखे मन म सोनहा बिहान के साकार होए के आशा जगा दीस। सही अरथ म ओ मन छत्तीसगढ़ के सोनहा बिहान के स्वप्नदृष्टा रहिन। उमन ‘‘छत्तीसगढ़ी भाखा व साहित्य के उद्विकास‘‘ विसय म शोध करिन अऊ पीएचडी के उपाधि प्राप्त करिन। उमन छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह ‘अपूर्वा’, हिंदी उपन्यास ‘सुबह के तलाश’ जइसे कई ग्रंथ मन के रचना करिन। उंखर लिखे ‘मोला गुरु बनई लेते छत्तीसगढ़ी प्रहसन’ बहुत लोकप्रिय होइस। डॉ. वर्मा ह छत्तीसगढ़ी भाषा-अस्मिता ल बनाए रखे अऊ इहां के संस्कृति ल विशिष्ट पहिचान देवाए म महत्वपूर्ण भूमिका निभाईन। श्री बघेल ह कहिन के छत्तीसगढ़ी भाखा बर उंखर ये अमूल्य योगदान हमेशा याद करे जात रइही।

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