राज्यपाल छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के कार्यक्रम म होइन सामिल
रायपुर, छत्तीसगढ़ी भाखा, बोली अऊ गीत म अतका मिठास हे कि ये हिरदे ल छू लेथे। इहां के मनखे मन म अतका सरलता अऊ सहजता हे कि जब कोनो मनखे या जन समूह मोर से घड़ी भर बर मिलथे, त अइसन लागथे कि उंखर से कई जनम ले संबंध हे। ये बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ह आज छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर म मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी संस्था कोति ले आयोजित कार्यक्रम म मुख्य अतिथि के बतौर कहिन। कार्यक्रम म राज्यपाल ल छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहना पहिरा के अऊ साड़ी भेंट करके सम्मानित करे गीस।
सुश्री उइके ह कहिन कि मोला राज्यपाल पद के दायित्व लेहे करीबन चार महीना होवत हे। ये बेरा म चार-पांच हजार मनखे मन ले घलोक जादा मनखे मन ले मोर मुलाकात होए हे। संगेच कुछ जिला मन म जाय के मौका घलोक मिले हे। मोला सबले जादा खुशी मोर उपर आमजन के विश्वास ल देखके होथे। उमन कहिन कि पाछू दिनन म गवर्नर्स कांफ्रेंस म छत्तीसगढ़ी भाखा ले संबंधित बात रखें रहेंव अऊ छत्तीसगढ़ी भाखा ल 8वीं अनुसूची म सामिल करे बर राष्ट्रपति अउ केन्द्र सरकार के आगू जरूरी उदीम करहूं। संगेच ये मंच ले संस्था के सदस्य मन कोति ले ये भाखा के प्रोत्साहन बर जऊन आग्रह करे गए हे, ओला राज्य सरकार तक पहुंचाहूं।
राज्यपाल ह कहिन कि छत्तीसगढ़ी प्रदेश के जनभाषा, राजभाषा अऊ मातृभाषा हे। छत्तीसगढ़ कला अऊ संस्कृति के दृष्टि ले बिक्कट समृद्ध हे। छत्तीसगढ़ी भाखा अतका मीठ हे, कहूं ओला छत्तीसगढ़ी म कहंय त ‘गुरतुर’ भाखा हे। ओला सुनत बेरा अइसन लागथे जइसे हम मधुर शब्द के रसपान करत हावन। ये भाखा बहुत सरलता अऊ सहजता ले जन-जन म बोले जाथे। उमन कहिन कि छत्तीसगढ़ी भाखा के शब्द-संसार, कहावत अऊ साहित्य बहुत समृद्ध हे। ये भाखा के जुन्ना इतिहास रहे हे। इहां स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अऊ साहित्यकार पं. सुंदरलाल शर्मा के जिक्र करना जरूरी हे, उमन छत्तीसगढ़ी भाखा म खण्डकाव्य ‘दानलीला’ लिखके छत्तीसगढ़ी भाखा ल प्रतिष्ठा देवाए जइसे महती काम करे हें। संगेच श्री जगन्नाथ प्रसाद भानू, श्री श्यामलाल चतुर्वेदी, श्री केयूर भूषण, जइसे आन साहित्यकार मन ह घलोक अपन रचना मन ले छत्तीसगढ़ी साहित्य ल सींचे हें, ओखर विकास करे हें अऊ आगू बढ़ाए हें। छत्तीसगढ़ ल अपन शब्द म पिरो के छत्तीसगढ़ महतारी के वंदना के रचियता डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा ल आज सुरता करना जरूरी हे। ये बड़ खुशी के बात हे कि ऊंखर रचित छत्तीसगढ़ी गीत ‘अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार…’ ल राज्य शासन ह राजकीय गीत घोषित करे हे।
राज्यपाल सुश्री उइके ह कहिन कि हर मनखे ल अपन बोली भाखा ले अपन संतान ल घलोक अवगत कराना चाही अऊ यथा संभव अपन परिवार म ओखर उपयोग करना चाही, जेखर से जुन्ना बोली-भाषा मन एक पीढ़ी ले दूसर पीढ़ी ल हस्तांतरित होत रहय अऊ ओखर अस्तित्व बचे रहय। राज्यपाल ह प्रदेश म छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के गठन अऊ आयोग कोति ले शासकीय अधिकारी मन अऊ कर्मचारी मन ल छत्तीसगढ़ी भाखा के प्रशिक्षण देहे म खुशी घलोक जताईन। ये बेरा म साहित्यकार श्री परदेशीलाल वर्मा, श्री बिहारीलाल साहू ह घलोक अपन संबोधन दीन। कार्यक्रम म श्री जागेश्वर प्रसाद ल उंखर छत्तीसगढ़ी भाखा म योगदान बर सम्मानित करे गीस। कार्यक्रम म दिव्यांग छात्रा मन कोति ले राजगीत ‘अरपा पैरी के धार’ अऊ बालिका आरू साहू अऊ सुश्री लक्ष्मी कलिहारे कोति ले छत्तीसगढ़ी गीत प्रस्तुत करे गीस। ये बेरा म श्री नंदकिशोर शुक्ल अऊ छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के सचिव श्री जे. आर. भगत संग आन गणमान्य नागरिक उपस्थित रहिन।