-सौरभ शर्मा
अपन सांस्कृतिक धरोहर मन ल सहेजे बर हरेली अऊ तीज तिहार म मुख्यमत्री श्री भूपेश बघेल के सार्वजनिक अवकाश के घोषणा अपन सांस्कृतिक जर मनल मजबूत बनाए अऊ छत्तीसगढि़या अस्मिता ल संवारे के दिशा म बड़का पहल
रायपुर, हरेली अऊ तीजा छत्तीसगढि़या के जीवन के सबले बड़े तिहार ये। बेटी मन उछाह ले अपन मइके जाथें। ऊंखर भाई ओ मन ल लेहे आथें। एक हिसाब ले येकर से बेटी मन के बचपन फेर लहुट आथे। अइसनहे आप मन जानथव के हरेली किसान के समृद्धि के तिहार हे। ये ह हमर प्रदेश के कृषि संस्कृति के पहिली तिहार ये जेमा फसल के लहलहाए ले किसान मन संग लइका मन के उछाह बाढ़ जाथे, गेड़ी धर के अपन धुन म लइका मन निकलथें अउ जम्मा छत्तीसगढ़ मगन होके हरियर धरती ल देख के लहराथे। छत्तीसगढ़ के ए तिहार मन म अब तक सार्वजनिक अवकाश नइ रहिस। तीज तिहारों म माता-बहिनी मन ल अवकाश रहिस फेर ऊंखर लइका मन के स्कूल बंद नइ होत रहिस। ऊंखर भाई या पति ल अवकाश नइ मिलत रहिस, जेकर सेती ओ मन माता-बहिनी मन ल मइके तक छोड़े जा सकयं। येती कई बछर ले शहर मन म तीजा के परंपरा तको नंदाए कस होत जात रहिस। अवकाश नइ मिलत रहिस त बेटी मन घलोक घर म पूजा करके मन मार लेत रहिन।
शासन के लेहे ये नवा निर्णय ले अब उल्लास के माहौल बनही। अब पूरा एक दिन बेटी मन अपन मइके म गुजार पाहीं, ये पूरा एक दिन, जऊन उंखर होही। शासन के ये निर्णय ले सरकार के एक अइसन संवेदनशील चेहरा आगू आये हे जऊन केवल मनखे मन के समस्या मन ल हल करे बर ही चेतलग नइ हे जऊन केवल मनखे मन के आर्थिक तरक्की बर ही काम नइ करत हे भलुक मनखे मन के जीवन म छोटे-छोटे खुसी बगराए बर घलोक निर्णय लेवत हे। भूटान जइसे कहूं छत्तीसगढ़ म घलोक हैप्पीनेस इंडेक्स काम करत रहितिस त ये निर्णय के बाद छत्तीसगढ़ म हैप्पीनेस इंडेक्स एके दिन म ही बिक्कट ऊपर चढ़ जातिस।
जइसे प्रदेश के मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ के नदिया-नरवा के संरक्षण बर काम करत हे। वइसनहे उमन संवेदशील ढ़ग ले सोंचथें के हमर सांस्कृतिक जर मन के संरक्षण घलोक अड़बड़ जरूरी हे। एखर मिसाल तब देखे ल मिलिस जब उमन मल्टीप्लैक्स म छत्तीसगढ़ी फिलिम देखे ल पहुंच गीन। जब बेटी मन ले जुड़े कोनो बात आथे त अमीर खुसरो जरूर सुरता आथे। ओखर एक सुग्घर दोहा हे। अम्मा मोर बाबूल ल भेजो री कि सावन आया। छत्तीसगढ़ म घलोक बेटी मन जरूर तीज तिहार म अइसनहे कुछ सोचत होहीं, अब तीज तिहार म ओ मन ल अपन बाबूल के आए के सुख मिल पाही।
एक अऊ बात हे जऊन हरेली, करमा जयंती जइसे तिहार मन ले जुड़े हे। ये कृषि संस्कृति ले जुड़े तिहार हे। ये पशुधन अऊ गोवंश के संरक्षण ले संबंधित तिहार हे। आप मन जानतेच हव के पोरा के दिन बइला मन के पूजा करथें। गोवर्धन पूजा के दिन गाय मन के पूजा होथे। ये उत्सव हमला सुरता कराथे कि हमर समृद्धि के आधार ये पशुधन हरे। ये प्रकृति ये हम इंकर उपेक्षा करबो त अपन आर्थिक विकास ल घलोक उपेक्षित करबोन।
छत्तीसगढ़ के बड़का आबादी जनजातीय मन के हे। इंकर सरोकार मन ले जुड़के शासन ह विश्व आदिवासी दिवस के अवसर म सार्वजनिक अवकाश के घोषणा करिस। येकर स्वागत होना चाही। ये अइसे दिन होथे जब सबो मनखे जनजातीय मनखे मन के सरोकार मन उपर बात करथें, निर्णय लेथें। अइसनहे छठ पूजा म घलोक सार्वजनिक अवकाश के निर्णय शासन ह ले हे। छठ के पूजा म अवकाश ले अड़बड़ झन म ये पर्व ल मनइया नागरिक मन ल खुशी तो होहीच, ये ह सरोवर अऊ नदिया मन के संरक्षण के दिशा म घलोक बड़का काम ये। ये पर्व केवल सुरुज के पूजा भर नो हे। अपन जीवनदायिनी नदिया मन अऊ तरिया मन के संरक्षण के सुरता घलोक हमला देवाथे।
सौरभ शर्मा, सहायक संचालक, जिला जनसम्पर्क कार्यालय, दुर्ग के हिन्दी आलेख के छत्तीसगढ़ी भावानुवाद – संजीव तिवारी, संपादक, गुरतुर गोठ डॉट कॉम