रायपुर, 18 नवंबर 2020। नोवेल कोरोना वाइरस के संक्रमण बहुत घातक हो सकत हे, कहूँ लक्षण दिखे के 24 घंटा के भीतर जांच नइ कराही अऊ इलाज नइ शुरू होही त। यूनीसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डाॅ श्रीधर के बताती कोनो मनखे जब कोविड पाजिटिव मरीज के संपर्क म आथे तब अवइया 5 दिन के अंदर सर्दी, बुखार ,सूंघे के क्षमता कम होना जइसे लक्षण दिखाई देहे लगथे। लक्षण दिखे के दू दिन पहिली मनखे म वाइरस लोड सबले जादा रहिथे। लक्षण नइ आए म ओला पताच नइ चलय अऊ ओखर संपर्क म अवइया मनखे मन घलोक संक्रमित हो जाथें। एखर सेती बाहिर जात समय मास्क पहिरना अऊ सुरक्षित दूरी रखना बहुत जरूरी होथे।
डाॅ श्रीधर ह बताइस के जिंकर प्रतिरोधक क्षमता कम हे उमन म लक्षण जल्दी दिख जाथे, नइ त 5 ले 7 दिन म फेफड़ा म असर होना शुरू होथे, सांस फूले लगथे, आक्सीजन स्तर कम होथे, बुखार आथे। बुखार या आन लक्षण के बाढ़े के 5 ले 7 दिन के बाद फेफड़ा के क्षति शुरू हो जाथे। एक पइत फेफड़ा खराब हो जाय ले मरीज मन के सांस फूले लगथे। रोगी के सांस फूले के पहिली ऑक्सीजन के स्तर कम हो जाथे। कहूँ इहिच समे एखर सही उपचार शुरू करे जाथे, त कई रोगी मन के जान बचाए जा सकत हे। जब मरीज के अवइया 24 ले 48 घंटा के भीतर सांस फूले लगथे, त ये गंभीर हो जाथे, जेखर बाद सबले अच्छा इलाज देहे के बाद घलोक रोगी ल बचाना बहुत मुश्किल होथे। ते खातिर कहे जात हे के, बुखार या आन लक्षण के बाढ़े के 24 घंटा के भीतर जांच अऊ नियमित रूप ले ऑक्सीजन के स्तर के निगरानी करे ले, फेफड़ा के क्षति के बहुत पहिली पता चल जाही अऊ बचाव बर सही समय म इलाज करे जा सकही।
डेथ आडिट म ये बात आगू आए हे के जादा मामला मन म कहूँ मरीज 24 घंटा के भीतर जांच करा लेथे अऊ अस्पताल म भर्ती हो जाथे त ओखर जान बांच जाथे।
उदाहरण बर रायगढ़ जिला के 40 साल के मनखे के 30 अकटूबर के लक्षण दिखिस अऊ वो ह 3 नवंबर के कोरोना टेस्ट कराइस। 3 नवंबर के ही रायगढ़ के कोविड अस्पताल म वो ह भर्ती हो गे। फेर वोला सिकल सेल एनीमिया घलोक रहिस अऊ भर्ती के बेरा ओकर आक्सीजन लेवल 62 प्रतिशत हो गए रहिस। नाना प्रकार के उदीम करे गीस फेर वोला नइ बचाए जा सकीस अऊ 9 नवंबर के उंखर मृत्यु हो गे। ये मृत्यु रोके जा सकत रहिस, कहूँ ओ ह लउहे जांच करा लेतिस अऊ बेरा म उपचार शुरू हो जातिस।
त संगी हो चेत राखव, कोरोना ल मजाक म झन लेवव।