रायपुर 17 फरवरी, 2020। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी कोति ले जनविरोधी बजट, नागरिकता अऊ नागरिक अधिकार मन उपर होवत हमला के आरोप लगात देश अउ संविधान ल बचाय बर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी कोति ले चलाए जात देशव्यापी अभियान के कड़ी म माकपा के पोलिट ब्यूरो सदस्य अऊ पूर्व सांसद बृंदा करात 17, 18 अऊ 19 फरवरी के रायपुर अऊ कोरबा म रइहीं। एखर दौरान ओ मन जनसभा मन ल संबोधित करहीं।
ये बारे म जानकारी देवत माकपा राज्य सचिव संजय पराते ह बताइस के 17 फरवरी के संझा 7 बजे ओ मन रायपुर पहुंचहीं अऊ रात 9 बजे जय स्तंभ चौक म सीएए-एनपीआर-एनआरसी के खिलाफ संविधान बचाओ, देश बचाओ आंदोलन के जगा म जाके एक आमसभा ल संबोधित करहीं।
18 फरवरी के ओ मन कोरबा म जाहीं अउ संझा पांच बजे बांकीमोंगरा म पार्टी कोति ले आयोजित संघर्ष सभा ल संबोधित करहीं। ए संघर्ष सभा म जिला के मनखे सामिल रइहीं। ए आमसभा म पार्टी गरीब मन ले जबरन संपत्ति कर वसूले के निगम के अभियान के खिलाफ कोनो बड़े आंदोलन के घोषणा कर सकत हें। एखर से कोरबा नगर निगम म माकपा के दू महिला पार्षद मन के जीत के बाद होवत ए सभा के महत्व बाढ़ गए हे। एखर पहिली ओ मन प्रेस ले मिलिए कार्यक्रम म मंझनिया 1 बजे मीडिया ले घलोक मुखातिब होहीं। ओ मन 19 फरवरी के मंझनिया ल रायपुर ले चेन्नई बर रवाना होहीं।
जानबा हे के हे कि 17 अकटूबर 1947 के कोलकाता म जन्मे बृंदा भारत म कम्युनिस्ट आंदोलन के एक प्रमुख महिला नेत्री अऊ प्रखर वक्ता हें। ओ मन ल भारत के कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य के तौर म 11 अपरेल 2005 के पश्चिम बंगाल ले राज्यसभा बर चुने गए रहिन। इही साल वो माकपा पोलित ब्यूरो म पहिली महिला सदस्य के तौर म चुने गीन। वो मन भारत के जनवादी महिला समिति (एडवा) के 1993 ले 2004 तक महासचिव घलोक रहे हें अऊ अब उपाध्यक्ष पद म हें। उमन 1984 के सिख दंगा उपर बने फिल्म ‘अमु’ म ‘मां के भूमिका’ घलोक निभाए हें। उंखर लिखे ‘सर्वाइवल एंड इमांसीपेशन: नोट्स फ्राम इंडियन वूमन्स स्ट्रगल्स’ नाम के पुस्तक भारतीय महिला मन ले जुडे कई ठन सामाजिक-राजनीतिक मसला मन के वामपंथी नजरिये ले पडताल करे के प्रयास करथे।
माकपा नेता पराते ह बताइस कि एक कोति तो मोदी सरकार नागरिकता कानून म संशोधन करके संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्य मन उपर हमला करत हे, उहें दुसर कोति एखर खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन करे के नागरिक अधिकार ल बर्बरतापूर्वक कुचलत हे। तीसर हमला देश के सार्वजनिक संपत्ति मन ल कार्पोरेट के हवाले करके देश के आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था उपर करे जात हे। ए नीति मन के चलते देश म सामाजिक-राजनैतिक तनाव बाढ़त हे अऊ आम जनता के जीवन स्तर गिरत हे। आर्थिक असमानता अतका बाढ़ गए हे कि देश म एक करोड़ अमीर मन तीर अतना धन सकला गए हे, जतका देश के 85 करोड़ गरीब मन तीर हे। देश आर्थिक मंदी के चपेट म फंस गए हे अऊ बेरोजगारी, भूखमरी अऊ गरीबी बड़ तेजी ले बाढ़त हे। किसान मन के बाढ़ती आत्महत्या मन के बाद अब व्यवसायी वर्ग घलोक आत्महत्या करे म मजबूर होवत हे। इही मोदी के ‘न्यू इंडिया’ ये, जिहां बहुसंख्यक आबादी रोजी-रोटी अऊ जिंदा रहे के लड़ाई लड़त हे। उमन बताइस कि ए नीति मन के खिलाफ एक व्यापक जनसंघर्ष विकसित करे के कोसिस माकपा करत हे।