घर के कचरा साफ करे के ही जिम्मे नहीं शहर घलोक इंकरे हाथ म होथे साफ

दंतेवाड़ा,16 दिसम्बर 2020। दंतेवाड़ा ल साफ रखे के जिम्मेदारी महिला मन संभालत हें। ये शहर के स्वच्छता म महिला मन के ही विशेष योगदान हे। दंतेवाड़ा क्लीन सिटी प्रोजक्ट के महिला मन ह रीढ़ बन गए हें। ये महिला मन साइकिल रिक्शा ले घर-घर जा के कचरा सकेलत हें। ये काम बर उउमन ल हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय घलोक देहे जात हे। नगरपालिका ए महिला मन ल रिक्शा तको देहे हे। ये सफाई कर्मी महिला मन म ले एक महिला जेकर नाम श्रीमती भानु राज हे वो ह अपन कहानी बतात कहिस के ये मोर अबला ले सबला बने तक के सफर ये।

दंतेवाड़ा के रहइया भानु राज जऊन साल दू हजार अट्ठारह म घर-घर जाके झाड़ू पोंछा अऊ बर्तन साफ करे के काम करत रहिस तब बड़ मुश्किल ले महीना म 25 सौ रूपिया के आमदनी हो पात रहिस। एकर बाद घलव समाज म मनखे मन वोला बड़ हीन भाव ले देखत रहिन, पास- पड़ोस के घर मन म घुसे तक के इजाजत नइ रहिस, मनखे बाहिर ले ही बात करके मुंह फेर लेत रहिन, इहां तक के पड़ोसी अपन लइका मन ल मोर लइका मन ले दूरिहा रहे के सलाह देवत रहिन। मोर पति दिहाड़ी मजदूरी के काम करके जइसे-तइसे दू बेरा के खाना के इंतजाम कर पात रहिन। जेखर से मोर अऊ दू लइका मन के पालन-पोषण म अड़बड़ कठिनाई ले हो पात रहिस। कभू-कभू पानी पी के ही पेट भरना परता रहिस। मैं लाचारी ले लइका मन ल भूखे सुतत देखत रहंव, एक दिन मैं राशन कार्ड बनवाए नगरपालिका कार्यालय गयेंव उहां मैं ह अपन परेशानी मुख्य नगरपालिका अधिकारी के आगू रखेंव उमन मोर स्थिति समझिंन अऊ मिशन क्लीन सिटी योजना के तहत डोर-टू- डोर कचरा कलेक्शन करे बर स्व-सहायता समूह म मोला रख लीन। शुरु म तो मनखे मन मोर ये काम ल पसंद नइ करत रहिन, मोला ओ मन कचरा वाले दीदी के नाम ले घलोक पुकारत रहिन। फेर मैं जानत रहेंव के ये काम के अहमियत का हे अऊ में उंखर बात मन ल अनसुना करके अपन काम ल निष्ठा ले करत रहेंव। धीरे-धीरे शासन के ये पहल ले मनखे मन के मानसिकता बदलिस अऊ अब मनखे मोला स्वच्छता दीदी के नाम ले पुकारथें। मोला मासिक मानदेय के तौर म 6 हजार रूपिया अऊ डोर-टू-डोर कलेक्शन ले मिले कबाड़ी ल बेचके करीबन 1 हजार रूपिया अकतहा मिल जाथे।

सरकार के ये योजना मोर अऊ मोर परिवार बर वरदान साबित हो गीस। अब पहिली ले हमर आर्थिक स्थिति काफी सुधरे हे मोला पहिली घलोक काम के पइसा मिलत रहिस फेर नगद होए के सेती अनायास खर्च हो जात रहिस। फेर अब पइसा घलोक सीधा मोर खाता म आथे, त जरूरत परे म ही खर्च होथे। मोर बचत घलोक पहिली ले बाढ़े हे, पाछू 1 साल म बचाए पइसा मन ले मोर पति सब्जी बेचे के छोट कन अपन धंधा चलाथे, अऊ ये योजनाच के देन हे के गीले कचरा ले बने खाद के उपयोग सब्जि ल उगाने बर होवत हे मोर आत्मविश्वास के स्तर घलोक बाढ़े हे, एकर एक उदाहरण मैं ई-रिक्शा घलोक चलाना सीख गए हंव। अब लइका मन काम म न जाके बने शिक्षा बर स्कूल जावत हें, ओही समाज जऊन मोला अपनाए बर तियार नइ रहिस अब गला लगाय ल राजी हे। जिंकर लइका मोर लइका मन ले दूरी बनात रहिन, अब सब हितवा हें। सफर तो लंबा हे, फेर संघर्ष अभी जारी हे, कल तक जऊन रहिस अबला आज एक सबला नारी हे।

लउछरहा..