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प्रकृति ल बचाना हे, छै जुलाई के पौधा लगाना हे

दुर्ग 02 जुलाई 2020/ ‘’वो ही शहर है वो ही रास्ते, वो ही घर है और वो ही लान भी मगर उस दरीचे से पूछना, वो दरख्त अनार का क्या हुआ‘’
बशीर बद्र के ये गजल म वो पीरा छुपे हे जे निजी रूप म पेड़ के हमार जीवन म घटत जगह के चिंता ला दिखाथे । अपन घर ला हमन सीमेंट के घर (कांक्रीट) म बदल डरेन अउ ये तरह सबो शहर कांक्रीट के जंगल म बदलत जाथे । पौधारोपण के अभियान बढ़ कुछु शासकीय स्तर म होथे अउ ये लोगन मन के द्वारा करे जाथे जे पर्यावरण प्रेमी हे । ये अभियान एखर से भी आगे जाये । ये व्यापक उद्देश्य ले जिला प्रशासन हा छह जुलाई के पौधरोपण महाभियान के आह्वान जिला के नागरिक मन ले कर हे । प्रकृति ला सहेजे के ये लड़ाई म जब तक आम आदमी के व्यापक भागीदारी नइ होही तब तक हरियाली के विस्तृत दायरा के कल्पना करना घलव कठिन हे। घरो घर म जब पौधा पहुंच अउ हर नागरिक ऐला बचाये अउ सहेजे शपथ लिही तो निश्चित ही आने वाले पीढ़ी म ग्रीन दुर्ग के तोहफा मिलही । पौधारोपण ला लेके पउर साल घलव वन विभाग हा एक पहल करे रिहिस जेमे पौधा के इच्छुक नागरिक मन ला घर पहुंचा के पौधे दे गे रिहिस । ये बार घलव ये काम करे गे हे । फेर कोई काम मिशन के रूप म अउ उत्सव के रूप म होथे ता एखर और भी बढ़ा अउ शुभ परिणाम सामने आथे । छह जुलाई के अइसे ही परिणाम आये के संभावना हे । घरो घर बर फलदार पौधा वितरण करे तये के योजना हे । कहु आम के पौधा दे जाही । कहु जाम (अमरूद) के पौधा अउ कहु जामुन के पौधा । अंग्रेजी म कोनो अच्छा कार्य होथे तो ओला फ्रूटफुल कथे । हिंदी म कथे कि ये फलदायी काम होइस । एखर मतलब ये हे कि सबले अच्छा काम के मानदंड बनथे फलदायी होना। जे लोगन मन पौधा ले जाही, उमन ला केवल अपन परिवार बर कुछ साल म फलदायी पेड़ ले फल मिलही अउ ओखर से बढ़के ओखर घर सुंदर अउ गुलजार होही । काखरो घर ला सुंदर दिखाना हे ता सबले न्यूनतम निवेश म होने वाला काम यही हे कि कोई सुंदर असन पेड़ लगा दो । अगर आप नन आम के पेड़ लगा दुहु तो आम्रमंजरी मन के खूबसूरती ले आप मन के घर गुलजार हो जाही । अगर आप गुलमोहर के पेड़ घर म लगा दुहु तो ऐखर सुंदरता ले घर गुलजार हो जाही । शहर मन म तो अब अइसे दिखथे कि घर के विस्तार करना हे अउ कोनो पेड़ आ गे तो एखर पैसेज खोल देथे लेकिन पेड़ नहीं काटे। अभी दुर्ग म मुख्य सचिव श्री आरपी मंडल रजिस्ट्री कार्यालय के भवन जमीन चिन्हांकित करे आये रिहिस । ओ जमीन म एक पेड़ देखिस । उन्होंने कहिस कि भवन बने लेकिन ये पेड़ न कटे काबर हमन इहा पेड़ सहेजे के काम काम करे जाथे । उमन कहिस कि पेड़ ला ग्लास के माध्यम ले पैसेज दे जाये । साधारण समय म साधारण काम करे जाथे अउ असाधारण समय म असाधारण काम । ग्लोबल वार्मिंग ला देखत मनुष्यता ला बचाये बर असाधारण कदम उठाये के वक्त हे अउ शासन के संग ही आम जनता ला घलव बराबरी ले ये दिशा म काम करना होही। बशीर बद्र के ये गजल फेर याद आवथे ।
‘’कोई फूल धूप की पत्तियों में हरे रिबन से बंधा हुआ वो गजल का लहजा नया नया, न सुना हुआ न कहा हुआ।‘’
ये सुंदरता ला सहेजना हे अउ रोज अपन दरीच मन ला देखना हे ता छह जुलाई के एक पौधा अवश्य लगाना हे।
दुर्ग ले गुरतुर गोठ बर सोनू कुमार

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