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विलुप्त होवत बस्तर आर्ट लुगरा मन ल मिलिस पुनर्जीवन

बस्तर, 24 नवंबर 2020। ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रुद्रकुमार के पहल म हाथकरघा संघ बस्तर के कला-संस्कृति ल संरक्षित अउ संवर्धित करे बर हर संभव प्रयास करत हे। इही कड़ी म बस्तर जिला के बहुमूल्य सांस्कृतिक धरोहर ल हाथकरघा के माध्यम ले वस्त्र मन म कलाकृति के रूप म अभिव्यक्त करे जावत हे। जिला के महात्मा गाँधी बुनकर सहकारी समिति, बस्तर के बुनकर मन के द्वारा परंपरागत ट्राइबल आई लुगरा अउ विभिन्न रंग के ट्राइबल आर्ट दुपट्टा मन के घलो निर्माण करे जावत हे। बस्तर जिला के तोकापाल ब्लाक के ग्राम-कोयपाल म प्राकृतिक रंग मन  (ऑल कलर) ले रंगे सूती ट्राइबल आर्ट लुगरा तैयार करे जावत हे, जोन ह संपूर्ण छत्तीसगढ़ म अद्वितीय हे।

हाथकरघा संघ द्वारा ए लुगरा अउ दुपट्टा मन ल राजधानी रायपुर स्थित बिलासा शोरूम द्वारा विक्रय करे जावत हे। हाथकरघा संघ द्वारा न सिर्फ बस्तर के संस्कृति ल संरक्षित व संवर्धित करे जाए के प्रयास करे जावत हे, बल्कि इंखर स्थानीय बाजार मन ले अलग इंखर आमदनी म घलो चार-पांच गुना वृद्धि होए हे। लुगरा बनाने वाला बुनकर मन ल ट्राइबल डिजाइन के आधार म 4000 ले 5000 रूपिया प्रति लुगरा बुनाई मजदूरी देहे जावत हे, जबकि ट्राइबल आर्ट दुपट्टा, स्टोल, गमछा इत्यादि के प्रति नग 400-500 रूपिया बुनाई मजदूरी हे। पिछला दू माह म ट्राइबल आर्ट लुगरा अउ दुपट्टा बर बस्तर समिति द्वारा कुल एक लाख 60 हजार के मजदूरी के भुगतान करे गए हे। बस्तर जिला हाथकरघा के सहायक संचालक ह बताइस कि आगामी योजना के तहत् जिला के समस्त बुनकर सोसायटी मन ह ट्राइबल आर्ट लुगरा, दुपट्टा, गमछा, शर्टिग आदि के निर्माण प्रारम्भ करे जाही अउ स्थानीय स्तर म प्राकृतिक रंग मन ले धागा रंगाई करे के सुविधा उपलब्ध घलो सुनिश्चित करे जाना हे। एखर बर ग्रामोद्योग  विभाग अउ राज्य शासन के सहयोग ले बस्तर के विलुप्त होवत परम्परा ल पुनर्जीवित करे जावत हे।

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