नील क्रांति कोति किसान बढ़ावत हें कदम : इजराइली पद्धति ले छोटे से जगा म जंपाला करत हे आर्गेनिक मछरी के उत्पादन

रायपुर, 29 फरवरी 2020। छत्तीसगढ़ म नील क्रांति कोति एक अऊ कदम बढ़ाए हे, दुर्ग जिला के बोड़ेगांव के किसान जंपाला रत्नाकर ह। ओखर फिश फार्म यूनिट केवल 13 हजार स्क्वायर मीटर म फैले हे। ये एकड़ के चौंथइयाथा भाग ये फेर इहां करीबन वोतकेच मछरी पलत हे जतका मछरी पालन बर बनाय गए 50 एकड़ के तालाब म पलतिन। रत्नाकर ह ये कमाल करे हे इजराइली पद्धति आरएएस (रिसाइक्लिंग एक्वा सिस्टम) के सहारा लेके। स्टेनलेस स्टील ले बने ये भारत के दुसरा आरएएस यूनिट हे जेमां सबले आधुनिक तकनीक ले मछली पालन करे जात हे। स्टेनलेस स्टील के अइसन दूसर यूनिट बंगलुरू म हे। अइसन अत्याधुनिक तकनीक वाले दू आन यूनिट इंदौर अऊ हैदराबाद म हे। यूनिट म मछरी मन के बढ़त होवत हे। जेकर पहली खेप बाजार म अप्रेल तक आही। रत्नाकर के बताती प्लांट म 240 टन मछरी के उत्पादन के लक्ष्य हे। कोसिस रइही के हर दिन कम से कम एक टन मछरी ओ ह बेच सकय।

रत्नाकर बताथे के यूनिट के कुल लागत करीबन 3 करोड़ रुपिया हे। ये मां 20 लाख रुपिया के अनुदान राज्य शासन कोति ले नील क्रांति अभियान के अंतर्गत देहे गए हे। ये यूनिट म श्री रत्नाकर मत्स्यपालन के प्रशिक्षण घलोक देंहीं अऊ मत्स्यपालन करे के इच्छुक किसान मन बर ये बेहद महत्वपूर्ण संस्थान साबित होही। दुर्ग-भिलाई क्षेत्र म अभी आंध्रप्रदेश अऊ कोलकाता ले मछरी आवत हे अऊ बड़ मात्रा म आवत हे। स्थानीय बाजार म मांग के तुलना म पूरती बिकट कम हे। स्थानीय स्तर म बड़े पैमाना म मछलीपालन होए म आय के नवा संभावना पैदा होही। रत्नाकर ह बताइस कि हर दिन करीबन 60 किलोग्राम सूखा मछली बीट निकले के संभावना हे। अभी एकर बाजार भाव एक हजार रुपिया हे। केवल मछली बीट बेचके ही करीबन 60 हजार रुपिया के आय हो सकत हे।

कृषि विभाग के अधिकारी मन ह बताइस कि हम किसान मन ल सरलग खेती के संगेच फसल विविधता अऊ मत्स्यपालन जइसे क्षेत्र मन म घलोक काम करे बर प्रेरित करत हन। श्री रत्नाकर ह आरएएस अपनाके ये दिशा म बड़का कदम उठाए हे। रत्नाकर ह बताइस कि ओकर पांव म चोट आ गए रहिस अऊ डाक्टर ह ओ ल आराम करे के सुझाव दे रहिस। एक न्यूज चैनल म वो ह हैदराबाद के एक यूनिट म इजराइली पद्धति ले मछरी के उत्पादन के बारे म देखिस। उही समें सोच लीस कि ये काम इहां करबो। फेर दो साल सरलग हैदराबाद म यूनिट हेड के संपर्क म रहिन। छत्तीसगढ़ म मत्स्य अधिकारी मन ले मार्गदर्शन लीन अऊ सपना पूरा कर लगिन।

यूनिट म उत्पादित होइया मछरी पूरा आर्गेनिक होही। एखर बर मछरी मन ल सबो प्रकार के संक्रमण ले मुक्‍त करे बर 20 लाख रुपिया के बायो चिप लगाए गए हे। ये बायो चिप न्यूजीलैंड ले मंगाए गए हे। एखर विशेषता हे कि ये मां एक खास प्रकार के बैक्टीरिया हे जऊन मछरी मन म पनपइया अऊ एला नुकसान पहुंचइया कीट मन ल खा लेथे।

ये आरएएस यूनिट म अलग-अलग साइज के टैंक बनाए गए हे। ए टैंक मन के माध्यम ले अलग-अलग प्रकार के स्पान मन ल रखे के व्यवस्था हे। संगेच पूरा समय पानी के शुद्धीकरण घलोक करे जात हे ताकि मछली के बीट ले पानी सुरक्षित रह सकय। ये मां पांच प्रकार के व्यवस्था हे पहली ड्रम फिल्ट्रेशन के, दूसर चिप फिल्ट्रेशन के, तीसर डिगैसिंग, चौंथइया ओजोनाइजेशन अऊ पांचवां डिसाल्व आक्सीजन मशीन। ये प्रकार मत्स्य पालन बर सबो जरूरी एहतियात रखे गे हे। पानी फिल्ट्रेशन होए ले मछरी मन आर्गेनिक रइहीं, बीमारी ले मुक्‍त रइहीं। आक्सीजन के बहुत व्यवस्था ले मछरी मन ल कोनो प्रकार के नुकसान नइ होही। ये यूनिट के विशेषता हे कि एला केवल मोबाइल के माध्यम ले आपरेट करे जा सकत हे। दिन-रात मिलाके मेंटेनेंस बर केवल तीन लेबर लगथे। अगले साल ओ ह सोलर एनर्जी इंस्टाल करही त बिजली बिल ले घलोक बचत हो जाही। ये माडल एक अइसन देश इजराइल ले आए हे जिहां के मनखे एक-एक बूंद पानी बचाके खेती करत हे। रत्नाकर ह बताइस कि कहूं मैं एक एकड़ म मछली पालन करंव त मोला कम से कम साढ़े चार फीट पानी के स्तर रखना होही। एखर बर मोला 10 एचपी मोटर के पंप लगाना होही। ये मां बेहिसाब पानी लगही। ये पद्धति म पानी रिसाइकल होत रइथे। ये रिसाइकल पानी के उपयोग रत्नाकर अपन खेत मन म घलोक करत हे।

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