दंतेवाड़ा, 14 जुलाई 2021। इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर, कृषि विज्ञानं केंद्र दंतेवाडा के प्रक्षेत्र म जिमीकंद के किसिम गंजेंद्र के प्रदर्शनी लगाए गए हे। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक अउ प्रमुख डॉ.नारायण साहू के मार्गदर्शन म केंद्र के प्रक्षेत्र म करीबन 1 एकड़ म एकर फसल प्रदर्शनी बर कुछ अऊ किसान मन के प्रक्षेत्र म घलोक प्रदर्शन लगाए गए हे। जिमीकंद के किसिम गजेन्द्र ह इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ कोति ले विकसित करे गए किसिम ये। जिमीकंद ओषधीय गुण ले भरपूर हे जेखर सेती एकर मांग बढत जात हे अऊ एकर सब्जी के रूप म उपयोग करे जात हे। जिमीकंद के उत्पादन किसान अपन स्तर म करत हें फेर गजेन्द्र किसिम ह खजुवावय नहीं अऊ एकर उत्पादन घलोक जादा होथे। कृषि विज्ञानं केंद्र के प्रक्षेत्र प्रबंधक डॉ. भुजेंद्र कोठारी ह एखर उत्पादन तकनीक के बारे म बताइस के जिमीकंद लगाय के सबले अच्छा समय मानसून ले पहिली के बेरा ह होथे। रोपण बर एक फीट लम्बा अउ एक फीट चौडा गढ्ढा करके वोमे माटी, रेती अऊ गोबर खातू ल मिला के भर देनवयं अऊ वोमे जिमीकंद के कन्द ल डाल देवयं। अइसन करे ले फसल बने होथे संगेच कन्द घलोक बड़े होथे। छै ले आठ महिना के भीतर ही वोला खनके ब ेच के आर्थिक लाभ लेहे जा सकत हे।
जिमीकंद के खेती बर उतम जल निकास वाले हल्का अऊ भुरभुरी मिटटी उपयुक्त हे। जिमीकंद के रोपण प्रवर्धन विधि ले करे जाथे येकर बर पूरा कांदा ल या कांदा ल काटके लगाए जाथे। बुआई बर 250-300 ग्राम के कन्द उत्युक्त होथे। कांदा मन के रोपण के पहिली कांदा मन के उपचार करना चाही। कांदा के वजन मुताबिक एकर उत्पादन 50-80 किंवटल प्रति हेक्टेयर मिल जाथे। अभी हाल म प्रक्षेत्र के फसल के अवस्था अऊ बढ़ोतरी के मुताबिक ये क्षेत्र म जिमीकंद के बनेच सम्भावना हवय।