प्रदेश के करीबन सबो जिला मन म ये समय गोठान संचालित करे जात हे। नगरीय निकाय के अंतर्गत प्रदेश भर म 377 गोठान स्वीकृत हे। जेखर अंतर्गत 169 स्व-सहायता समूह के महिला मन काम करत हें। ए गोठान मन म जैविक खाद के अलावा गोबर के बहुत अकन उत्पाद बनाए जात हे। गोठान मन म गौ-काष्ठ अऊ छेना (कण्डा) घलोक बनाए जात हे। कुल 141 जगा मन म गोबर ले गौ काष्ठ बनाए बर मशीन घलोक स्वीकृत होवईया हे अऊ कोनो कोनो जगा म ये मशीन काम घलोक करे लगे हे। सूक्खा गोबर ले बने गौ-काष्ठ एक प्रकार ले गोबर के बने लकड़ी ये। एकर आकार एक ले दो फीट तक लकड़ीनुमा रखे जात हे। गौ-काष्ठ एक प्रकार ले कण्डा के वैल्यू संस्करण ये। गोठान मन के गोबर के बहुउपयोग होए ले जिहां वैकल्पिक ईंधन के नवा स्रोत विकसित होवत हे, उहें छत्तीसगढ़ के गांव अऊ शहर मन म रोजगार के नवा अवसर घलोक खुले लगे हे। स्व-सहायता समूह के महिला मन आत्मनिर्भरता के रद्दा म अपन कदम बढ़ावत हें। हाले म सरगुजा जिला के अंबिकापुर म प्रदेश के पहला गोधन एम्पोरियम घलोक खुले हे, जिहां गोबर के उत्पाद मन के श्रृंखला हे। प्रदेश के आन जिला मन म घलोक गौ काष्ठ अऊ गोबर के उत्पाद मन के मांग बढ़त जात हे। गोबर ले पेंट अऊ वॉल पुट्टी बनाए के दिशा म काम चलत हे। देवारी म गोबर के दीया, गमला, सजावटी सामान के अड़बड़ मांग रहिथे।
प्रदेश के गोठानों म तियार गौ-काष्ठ अऊ कण्डा एक वैकल्पिक अऊ जैविक ईंधन के बड़ा जरिया बन सकत हे। एखर जले ले प्रदूषण घलोक नइ फैलय अऊ एकर उत्पादन घलोक आसान हे। नगरीय निकाय क्षेत्र मन म अलाव अऊ दाह संस्कार म लकड़ी के जगा म गौ काष्ठ के उपयोग ल बढ़ावा देहे ले वैकल्पिक ईंधन के उत्पादन म गति आही। प्रदेश के नगरीय निकाय मन म जड़काला म करीबन 400 अलाव चौक-चौराहा मन म जलाए जाथे। चौक चौराहा मन म नगरीय निकाय ह सूखी लकड़ी के उपयोग अलाव बर करथे। अलाव के रूप म लकड़ी के उपयोग होए ले पेड़ कटाई ल बढ़ावा अऊ पर्यावरण ल घलोक नुकसान पहुचथे। अलाव म गोबर काष्ठ के उपयोग होए ले एखर कई फायदा होही। गोबर काष्ठ ले प्रदूषण के खतरा घलोक नइ रहिही अऊ गोठान मन के गोबर के सदुपयोग घलोक होही। खास बात ये घलोक हे कि गोबर काष्ठ के अलाव के जले के क्षमता लकड़ी के अलाव के अपेक्षा जादा होथे। रायपुर जइसन शहर म रोजेच 12 ले 30 दाह संस्कार होथे। एक दाह संस्कार म अनुमानित 500 ले 700 किलो लकड़ी के उपयोग होथे। अलाव अऊ दाह संस्कार म लकड़ी ल जलाए ले भारी मात्रा म कार्बन के उत्सर्जन होथे, जऊन कि पर्यावरण बर अनुकूल नइ हे। कहूं गौ काष्ठ के उपयोग लकड़ी के जगा म करे जाए त सिरिफ 300 किलो म ही दाह संस्कार करे जा सकत हे। एखर से प्रदूषण घलोक नइ फैलय।