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आलेख: गोधन न्याय योजना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था ल उभारे के सुराजी माॅडल

छत्तीसगढ़ म सुराजी गांव मन के महात्मा गांधी माॅडल ऊपर काम होवत हे। देश बर गांधी जी के दू प्रकार के माॅडल रहिस शहरी क्षेत्र मन म औद्योगिक अर्थव्यवस्था बर ट्रस्टीशीप माॅडल अऊ ग्रामीण क्षेत्र मन बर आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के माॅडल। ए दुनों माॅडल मन के गंभीरता ले समीक्षा करव त आर्थिक मामला मन म गांधी जी के असाधारण समझ आघू आथे। आजादी ल लेके करे गए उंखर पूरा आंदोलन भारत ल स्वतंत्रता देवाये के संग देस ल आर्थिक रूप ले मजबूत करे के दिशा म एक सशक्त माध्यम रहिस। छत्तीसगढ़ देश के वो अग्रणी राज्य मन म सामिल हे जऊन गांधीवादी विचारधारा ल लेके आगू बढ़त हे। कोरोना काल म जिहां अर्थव्यवस्था उपर दबाव लउहे बाढ़े हे उन्हे अइसन समाधान मन के जरूरत हे जेमें सबले कम निवेश ले सबले ज्यादा लाभ हासिल करे जा सकय। एखर संगेच सामाजिक समरसता घलोक बढ़ाए जा सकय। गांधी जी के आंदोलन अइसनेच होत रहिस, देश के अर्थव्यवस्था उपर चोट करे बिना आत्मनिर्भरता ल बढ़ाना। जइसे असहयोग आंदोलन के बेरा म उमन विदेशी कपड़ा मन के बहिष्कार करे बर आंदोलन चलाइन।

जब हमर देश के अर्थव्यवस्था दूसर मन उपर निर्भर हो जाथे त वोति ले अनुचित दबाव मन के सामना घलोक करना परथे। प्लासी के लड़ई के पहिली विश्व के जीडीपी म भारत के 20 फीसदी योगदान रहिस। ये निष्कर्ष विलियम डेलरिंपल ह अपन शोधकार्य के समय मिले तथ्य मन ले निकाले रहिन जउन दुनिया म सर्वमान्य घलोक हे। एकर कारण ये रहिस के भारत ह अपन वस्त्र उद्योग म, अपन स्टील इंडस्ट्री म खास किसिम के तकनीक के परयोग ले, हुनरमंदी ले अऊ अद्भुत कल्पनाशीलता ले अइसन उत्पाद तैयार करिस जऊन बेजोड़ रहय। सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय देखव त गांधी जी ह नमक जइसे मामूली चीज ल लेके बड़का आंदोलन खड़ा कर दीन। ऊंखर आंदोलन ले का सीख मिलथे। आप मन के बुद्धिमत्ता नवा चीज मन के आविष्कार म तो हे फेर ओखर से घलोक बढ़के ए म हे के आप मन के पास जऊन चीज उपलब्ध हे। ओखर आप कतका बेहतर तरीका ले उपयोग कर सकथव। छत्तीसगढ़ म गोधन न्याय योजना एकर अच्छा उदाहरण हो सकत हे। गांव मन म सबले ज्यादा उपलब्ध हे गोधन, फेर वो फोकट हो गए हे अऊ अब ज्यादा मनखे मन बर बोझा बन गए हे। एकर सुघ्घर उपयोग ए योजना के माध्यम ले हो पाही। एखर बर सरकार ल कोनो प्रकार के निवेश के जरूरत नइ हे। पशुपालक गोबर बेचहीं, एकर भुगतान ओ मन ल मिलही। एकर कंपोस्ट खाद स्वसहायता समूह बनाही, ओ मन ल घलोक लाभ अर्जित होही। सरकार तिर विपुल मात्रा म जैविक खाद उपलब्ध होही। ये जैविक छत्तीसगढ़ के दिशा म बड़का कदम होही। जब चारो-मुड़ा जैविक खाद के उपयोग होए लगही त जमीन के ऊर्वरता बढ़बे करही, जैविक उत्पाद मन के सेती छत्तीसगढ़ के खाद्यान्न के बड़ डिमांड बाजार म होही।

इही हमर परंपरा घलोक हे जऊन ल हम भुलाए लगे रहेन। भगवान कृष्ण ह बृज के मनखे मन ल इही कहिन के आप मन स्थानीय देवता मन के घलोक पूजा करव, जऊन गोवर्धन पर्वत आप मन ल हरियाली देथे। आप मन के पशु मन ल चारागाह उपलब्ध कराथे, ओखर पूजा करव। फेर अन्नकूट के पूजा शुरू होइस। ये  गोधन के महत्व ल बताथे। ग्रामीण क्षेत्र मन के तरक्की अपन संसाधन मन ल मजबूत करे ले होही। गोधन न्याय योजना के माध्यम ले ये सुघ्घर शुरूआत राज्य सरकार ह करे हे।
सौरभ शर्मा
जिला जन संपर्क अधिकारी, दुर्ग
(सौरभ शर्मा जी के मूल हिन्‍दी आलेख के छत्‍तीसगढ़ी अनुवाद – संजीव तिवारी)

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