मुख्यमंत्री ह ’श्री गुरू तेग बहादुर सिक्ख म्युजियम’ के करिन उद्घाटन

म्युजियम म मिलही सिक्ख मन के गौरवशाली अउ प्रेरणादायक इतिहास के जानकारी: श्री भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज सिक्ख मन के पांचवा गुरू अर्जुन देव जी के शहादत दिवस के अवसर म राजधानी रायपुर के श्याम नगर स्थित गुरूद्वारा गुरूनानक नगर म आयोजित कार्यक्रम म संघरिस। उन मन गुरू अर्जुन देव के शहादत ल श्रद्धापूर्वक सुरता करत उन मन ल नमन करिन अउ गुरू ग्रंथ साहिब के आगू म अपन माथा टेकिस।
मुख्यमंत्री कहिन कि गुरू अर्जुन देव ह अपन शहादत ले त्याग अउ बलिदान के रस्ता देखाइस। उन्कर ये बलिदान हमन ल जुगं-जुग तक प्रेरणा देवत रहिही। मुख्यमंत्री ह ये अवसर म गुरूद्वारा परिसर म बने ’श्री गुरू तेग बहादुर सिक्ख म्युजियम’ के उद्घाटन करिन। उन मन कहिन कि ये म्युजियम ह अवइया पीढी ल अपन गौरवशाली अउ प्रेरणादायक इतिहास ले परिचित करवाही।

ये अवसर म अमृतसर ले आये ज्ञानी सुखजिंदर सिंह अउ गुरूद्वारा गुरूनानक नगर प्रबंधक समिति के अध्यक्ष श्री प्रीतपाल सिंह चंडोक के संग समिति के अबड़ झिन पदाधिकारी अउ समाज के सदस्य गजब अकन संधरे रिहिन हे। मुख्यमंत्री ह कहिन कि स्वर्गीय श्री दिलीप सिंह चावला अउ स्वर्गीय अजिंदर सिंह चावला के सपना सिक्ख मन के इतिहास उपर रायपुर म ’श्री गुरू तेग बहादुर सिक्ख म्युजियम’ के थापना करे के रिहिस हे, उन्कर ये सपना आज साकार होवत हावय। चावला परिवार के श्रीमती मंजित कौर चावला अउ उनकरे परिवार जन मन म्युजियम के थापना करे म महत्वपूर्ण योगदान दिन हे। उन्करे उदीम ले राजधानी म एक ठन दर्शनीय स्थल निर्मित होए हावय। उन मन  कहिन कि सिक्ख समाज एक जिन्दा दिल कौम हरे, मैं जब भी इन्कर बीच आथौं मुझे नवा ऊर्जा मिलथे। सिक्ख म्युजियम म सिक्ख मन के गुरू मन के चित्रं के संगे संग उन्कर इतिहास प्रदर्शित करे गे हे।  अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के सुग्घर प्रतिकृति अउ सिक्ख मन के तीरथ स्थल मन के जानकारी घलो सुरूचिपूर्ण ढ़ंग ले म्युजियम म प्रदर्शित करे गे हे। म्युजियम म सिक्ख मन के इतिहास ले संबंधित पुस्तक मन के एक ठन लाइब्रेरी घलो बनाए गे हवय।

रमेसर:- उही मुँह पान खाए उही मुँह पनही , काए बता ?
चिंगरा:- कका, मनखे उही मुँह ले निर्मल बानी निकालथे त ओकर सम्मान होथे अउ उही मुँह के अनर्गल बानी ले थपरा घलो खाए बर पर जाथे।
रमेसर:- सब्बास बेटा ! जुग जुग जी रे। ए ले जा एक रूपिया नड्डा खा लेबे।
चिंगरा:- अच्छा ! मैं अभीन ले तोला नड्डा खाए के लइक लगथौं गा।

लउछरहा..