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इतवारी : चिंता चतुराई ले घटै

काली अचानक समारू रस्ता म मिल गे। मिलते साथ कहिथे -झारा झारा नेवता हे । अपन घर खाहू झन, हमर घर आहू झन। मैं अकचका गएंव-ये कइसन नेवता हरे जी ?
– अरे कोरोना काल चलत हे न।
– हेंहें …हेंहें करत दूनो अपन अपन दाँत ल चमकाएन।
तहूँ अच्छा मजाक करथस यार।
– मजाक नहीं सिरतोन काहत हौं, भलकुन अइसनो नौबत झन आ जाय कि बिहाव भर हम तोरे घर राहन।
मैं पूछेंव – का होगे भई। बिहाव के अनुमति नइ मिल पाइस का ? वो मुड़ धरत कहिथे – परमिसन मिलिगे त उहू काय काम के। कागजे भर तो आय। का कहना चाहत हस बने फोरिया के गोठियाबे तब तो जानहू रे भाई। तोर बात सुनके महू ल फिक्कर होए लगिस।
अरे देख न ! बिहाव के परमिसन मिले हे तेमा साफ -साफ लिखे हावय कि 10 मनखे ले उपराहा नइ होना चाही। अब तहीं बता 10 झिन मनखे बिहाव हो जही का ? मोर कुल तीन बेटा -बहू अउ उन्कर दूदी झन लइका मिला के कुल 12 झिन उही मन होगे। दू परानी हमन ल मिला के 14 होगेन। अब 10 झिन म बिहाव निपटाना हे, हमी मन घर ले बाहिर रहे बर परही। सुवासा- सुवासीन मन ल कोन मेरन समोहू ? ये तो जय माला शादी होगे।
बात तो सिरतोन बताए समारू, फेर सोचे के बात एहू हे के कम से कम परमिसन मिलगे। दूसर बात दूरी बनाए रखे के नियम ल तको देखेच बर लगही न। तोर घर कतेक बाटुर हौ तेला तो सबो जानत हे। एकर पीछू मंसा एहू हे के संख्या निर्धारित नइ करे ले मनखे बरदी कस हो जथें।
अउ सुन तो, कोरोना के टीका लगे ले कतकोन आदमी मरत हे त लोगन एहू काहत हे कि सरकार आदमी ल जानबूझ के मारना चाहत हे। जनसंख्या घटाना चाहत हे।
अरे ! तैं फालतू के अफवाह ल झन पतियाए कर। तोरे घर कोनो नइ रहिही त का तैं अकेल्ला नरियर नींछबे। जब राज नइ रहिही त राजा हं काएच करही अकेल्ला। कतकोन वैज्ञानिक शोध करे के बाद टीका ल बनाए हे कतकोन उपर परीक्षण करेे हे, तब जाके जनता ल लगावत हे। नानपन म स्कूल म टीका लगय त बुखार आवय न, ओइसनेहे बुखार हो सकत हे, अउ कतकोन के इम्यूनिटी पावर नइ हे, पहिलीच ले बड़का बीमारी हे तेन मन मरत हे । जउन नइ सहिस तेन नइ रिहिस जउन साहत हे तेन राहत हे।
चुपचाप सबो झिन टीका लगवावव अउ बढ़िया हाँसी -खुशी राहव।
कउंवा कान ल लेगे काहत हे त पहिली अपन कान ल टमर के देख त पाछू किकियाबे।
अउ जयमाला शादी तको तो समाज म मान्य हे न। शुद्व मन ले करे हरेक काम सिद्व होए के संगे-संग सार्थक तको होथे।

जय जोहार !!
धर्मेन्द्र निर्मल

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