राज्योत्सव प्रदर्शनी म मनखे मन ल लोभावत हे जनजातीय बाजार हाटुम

रायपुर, पाछू पांच दिन ले चलत छत्तीसगढ़ राज्योत्सव मेला म इतवार के मनखे के अड़बड़ेच भीड़ देख ल मिलीस। राज्य के सबो जिला ले मनखे अपन परिवार के संग आके मेला अऊ इहां लगे प्रदर्शनी ल देखत हें। राज्योत्सव मेला म गांव वाले मन के संगें-संग शहरी मनखे मन घलोक छत्तीसगढ़ी गहना-गुरिया ल देखे समझें बर स्‍टाल म जुरियावत रहिन। शहर के मोटियारी मन तो छत्तीसगढ़ के ए पारंपरिक गहना मन ल पहिर के अऊ देखके उत्साह ले भरे नजर आईन। छत्तीसगढ़ी आभूषण मन म सुता, पहुंची, रुपया माला, करधनी, बनुवारिया, ककनी, मुंदरी, पैरी, कटहल, लच्छा, बिछिया ,नागमोती आदि गहना मन ल मनखे अड़बड़ पसंद करत हें। मेला म आए बहुत झन मनखे मन के कहना हे कि ये गहना उमन पहली पईत देखे हें। कुछ पढ़ईया लईका मन के कहना हे कि ए गहना मन के बारे म उमन अभी तक सिरिफ किताब भर म पढे रहिन, फेर आज ये मेला म ए मन ल देखे के घलोक मौका मिलीस। गहना मन ल पहिर के युवती मन ह सेल्फी लेत हें, छत्तीसगढ़ी आभूषण के फ्यूजन कर के नवा फैशन ल मिलत हे बढ़ावा।

हाटुम (Hatum – Hatum is a Godi word which means market) एक गोड़ी आखर ये जेखर मतलब हे बजार
छतीसगढ़ी आभूषण के ये स्टाल के संचालिका सुश्री भेनू ठाकुर अऊ ऊंखर सहयोगी प्रीतेश साहू जी ह बताइस कि हाटुम एक गोड़ी आखर हे जेखर मतलब बाजार होथे। हाटुम एक अइसन प्लेटफॉर्म हे जेमे कई जनजाति मन बनाय जिनिस मन के बिक्री करे जाथे। ये मां गोंड, धुरवा, उरांव व बैगा जनजाति मन के बउरईया सामान, आभूषण अउ परिधान तको हे। ये मां गिलट ले बने आभूषण जेमे सुता, पहुंची, रुपया माला, करधनी, बनुवारिया, ककनी, मुंदरी, पैरी मन हे। बांस, लकड़ी अऊ घास ले बने समान मन म पिसवा, गप्पा, छोटे पर्स, पनिया (कंघी), पीढ़ा, चटई हे। धुरवा जनजाति के सिहाडी के बीज ले बने माला अऊ पैजन तको हे। सबो जनजाती मन के झालिंग, फुनद्रा, कौड़ी के श्रृंगार, नेर्क माला, आदि आभूषण मन इहां हे। जनजातीय परिधान मन म साड़ी, गमछा, मास्क, कोट, कुर्ता, बैग घलोक हे। सुश्री भेनु ठाकुर के कहना हे कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ह ये महोत्सव म आदिवासी युवा मन ल अपन पहिचान स्थापित करे के मौका देहे हे तेकर बर वो मन मुख्यमंत्री ल दिल ले धन्यवाद देवत हें।

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