रइपुर, 09 जून 2021 बधवार। राज्य के कृषि अउ मौसम विज्ञान विभाग अउ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारी मन छत्तीसगढ़ म मानसून अवई ल धियान म रखत किसान मन ल मौसम आधारित किसानी सलाह देहे हवय। उन मन खरीफ फसल अउ फल-सब्जी के बोवई के संगे—संग पशुपालन के संबंध म अउ आवश्यक वैज्ञानिक सलाह देहे हवय।
कृषि वैज्ञानिक मन कहे हे कि खेत के साफ-सफई अउ मेड़ पार के मरम्मत आवश्यक रूप ले ये बेरा करना चाही। खरीफ फसल लगाए बर बीज अउ उर्वरक के अकताहा बेवस्था कर लेवय। धान के जैविक खेती बर हरियर खातू फसल जहसे ढेंचा/सनई के बोवई लउहे करैं। धान के थरहा डारे या बोए के पहिली सवांगे उगाए बीज मन ल 17 प्रतिशत नमक के घोल ले उपचारित करैैं। प्रमाणित या आधार श्रेणी के बीज मन ल पाकिट म देहे गे फफूंद नाशक ले अवश्य उपचारित कर लेवयं। धान के नर्सरी बर गोबर खातू के बेवस्था कर लैैं। सुनिश्चित सिंचई साधन हवय त धान के थरहा तियार करे बर धान के रोपई वाले कुल क्षेत्र के लगभग 1/10 भाग म नर्सरी तियार करय एकर बर मोटा धान के मात्रा 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या पतला धान के 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के दर म बीज डारैं। सोयाबीन, मक्का, मूंगफली आदि फसल मन के बोवई बर खेत मन ल सेव /गहिर जोत के तियार करैं जेकर ले बहुवर्षीय घास नाश हो जाय। कुसियार के नवा फसल म आवश्यकतानुसार निंदई-गुडई अउ सिंचाई करेैं।
जोन किसान फलदार पौधा लगाना चाहत हे वोमन अभीन खेत के तियारी कर लेवय अउ संगे —संग वर्षा ऋतु म पौधा लगाए बर गड्डा कोड़ के बूता चालू करय। गड्डा मन माटी के संग सड़े गोबर खातू, दिंयार मारे के दवा अउ अनुशंसित उर्वरक मिलाके फेर भूइयां ले 10 सेंटीमीटर ऊंच भर देंवय। सोजहे बोए वाले सब्जील मन के उन्नत किस्म के बीजा मन के बेवस्वथा रखैं अउ योजना अनुसार खेत के तियारी करैं। खरीफ के नार वाले सब्जी जइसे लौकी, कुम्हड़ा ल थैली म पौध तियार करैं अउ करेला, बरबट्टी लगाए बर बने किसम ल चुनके मेड़ नाली पद्धति ले फसल लगाना सुनिश्चित करैं, कुंदरू अउ परवल लगाए बर खेत तियार करैं। अदरक अउ हरदी के रोपा फसल म पाला (मल्चिंग) करैं अउ जल निकास ल बरसा पहिली बने कर लेवयं।
कुकरी— मुर्गी मन ल रानीखेत बीमारी ले बचाए बर पहला टीका एफ-1 सात दिन के अंदर अउ दूसरइया टीका आर-2बी आठ सप्ताह के उमर म लगवावयं। गर्मी के मौसम म मुर्गी मन बर पीए के पानी के मात्रा 3-4 गुना बढ़ा देंवय। पशु मन ल 50 ले 60 ग्राम नून पानी म मिलाके अवश्य खवावय अउ दुधारू पशु मन के आहार म दाना मिलाके मात्रा बढ़ा देंवय। गलघोटू अउ लंगड़ी रोग ले बचाव बर मवेशी मन के टीकाकरण करवावयं।