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गरियाबंद जिला माटी ल आकार देके जीवन संवारत हें बिहान के तोरण बाई: बिहान ले जुड़े के बाद जीवन म आइस रंगत

गरियाबंद, 17 जुलाई 2020। समूह के ताकत, एकता अऊ दृढ़ विश्वास ले जीवन ल बदले जा सकत हे। जऊन काम अकेला म असंभव जान परथे ओला समूह के समर्थन अऊ मार्गदर्शन ले संभव बनाए जा सकत हे। मजदूरी अऊ अपन घर म काम करइया महिला मन बर जादा दूर के सोचना ए खातिर संभव नइ हो पावय, काबर के ऊंखर पास संबल देवइया कोनो नइ होवयं। जिला के छुरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम लोहझर के तोरण बाई चक्रधारी के संग घलोक अइसनहे कुछ होवत रहिस। तभे ओ ल बिहान ले जुड़े के अवसर मिलीस। पूजा एकता स्‍व सहायता समूह ले जुड़के ओखर मनोबल ऊंचा होइस। वो ह पहिली केवल घर के चौका-बर्तन अऊ बाहिर मजदूरी ल ही अपन दुनिया मानके चले रहिस। अपन भीतर छुपे हुनर के अंदाजा वोला नइ रहिस। घर म पति युवराज चक्रधारी माटी ले परंपरागत बर्तन, मूर्ति अऊ आन सजावटी वस्तु बनात रहिस। तोरण केवल समय-समय म हाथ बटात रहिस।

समूह म आए-जाए ले वोखर अंदर के प्रतिभा उभर के आगू आइस। गरीबी के कारण पति के ये कला ल पहिचान नइ मिल पात रहिस। तभे समूह ले 30 हजार रूपिया के ऋण लेके ये कला ल आगू बढ़ाइस। बाजार अऊ सीजन के मांग के मुताबिक मिट्टी के कलात्मक वस्तु बनाना चालू करिन अऊ ये मां खुद तोरण बाई ह हाथ बटाइस। आज पाछू 02 बछर ले माटी के बर्तन अऊ मूर्ति के बिक्री ले इनकर आर्थिक स्थिति म काफी सुधार आए हे। गर्मी के मौसम म मटका बेचके 15-20 हजार रूपिया के आय होथे। उहें तिहार के मौसम म मूर्ति बनाके घलोक 35-40 हजार रूपिया के आय हो जाथे। अभी गणेश मूर्ति विक्रय बर छुरा म स्टाल घलोक लगाए हें। जेखर से अच्छा बिक्री के उम्मीद हे। तोरण बाई बताथे के ओ मन समूह म आजीविका के संग बचत करना घलोक सीख गए हें। अब ओ ह पेंट मशीन लेहे के सोंचत हे। एला घलोक समूह के माध्यम ले लेही। आय ले ऊंखर समृद्धि के दुवार खुल गे हे। अब समूह म वोकर माताजी अऊ बहू ह घलोक जुड़ गये हे। छुरा जनपद के सीईओ रूचि शर्मा ह बताइस के तोरण बाई ल प्रशिक्षण देके ओखर कला म अऊ निखार लाए जाही। बिहान के डी.पी.एम रमेश वर्मा बताथे के ऊंखर बनाये गए मिट्टी के वस्तु मन ल अऊ जादा कलात्मक बनाके बड़का बाजार उपलब्‍ध कराए बर प्रयास करे जात हे।

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