- सुर – ताल अउ छंद -घुँघरू के 35 बछर
- 10 दिवसीय चक्रधर समारोह 02 सितम्बर ले 11 सितम्बर तक चलहि
लक्ष्मी नारायण लहरे कोसीर ले, रायगढ़ । कला – संगीत अउ संसकिरिती के नगरी रायगढ़ म चक्रधर समारोह के अगाज 02 सितम्बर ले होही जेनहर 11 सितम्बर तक चलहि ।रामलीला मैदान रायगढ़ म 10 दिन ल सुर -ताल अउ छंद – घुँघरू के आवाज ह कला नगरी ल संगीत के रंग म रंग दिही चक्रधर समारोह के पहिचान अउ चिन्हारी देस – विदेस म बगरत हे छत्तीसगढ़ म रायगढ़ अउ चक्रधर समारोह के अलग पहचान आय ।उत्सव अउ उमंग के 35 बछर आय ये समारोह म अपन प्रस्तुति ल देके कलाकार मन अपन ल धन्य मानथें फेर इंहा के गुनगान करथें । इंहा हर बछर नामदार कलाकार मन के प्रस्तुति होथे ।10 दिन ले चक्रधर समारोह होथे अउ इंहा के संस्कार अउ संसकिरिती ह दुर दुर ले बगरथे ।चक्रधर समारोह के जदका गुन गाये जाय कम लागथे ये बछर 35 वां समारोह के आयोजन होही जेमा नेवताए सगा कलाकार म गजल के राजा मनहर उधास अउ सूफी गायन के गवैय्या हमसर हयात ह अपन कलाकारी ले रायगढ़ के भुईंया म अपन कला प्रस्तुत करहीं ।पहली भगवान गनेस जी के बन्दना ले कलागुरु बेदमणि सिंह ठाकुर जी बन्दना करहीं अउ फेर चक्रधर समारोह के अगाज होही 10 दिन ल किसिम किसिम के आयोजन होही अउ चक्रधर समारोह के प्रस्तुति ह हर दिसा म बगरहि ।चक्रधर समारोह म स्थानीय कलाकार मन घलो अपन प्रस्तुति दिहिं इंहा गीत, संगीत नृत्य अउ तबला के थाप के आनंद लेहे बर समारोह के अगोरा होत रहिथे चक्रधर समारोह के एक अलग पहचान अउ नाम हे जेखर बहुत मान हे ।