रइपुर वनमंडल के अंतर्गत पिथौरा म एक झिन अंग्रेज वन अधिकारी के नियुक्ति होइस। वोह मनीराम ल बीटगार्ड के नौकरी म रखिस। मनीराम गोंड़ कुम्हारीमुड़ा गाँव के रहइया रिहिस हे। वोह अब्बड़ सुग्घर जेवन बनावय। ओकर हाथ के बनाए जेवन अंग्रेज अधिकारी ल अतका रूचगे कि जब वो इंगलैण्ड गिस त मनीराम ल तको अपन संग लेगे।
उहाँ मनीराम ल बगवानी म सैगोन, जेला ‘प्लस ट्री’ कहे जाथे, ओकरे पेड़ के बीजा जगोए अउ पेड़ बनाए के ‘रुट शूट विधि’ सीखे के सुअवसर मिलीस। कुछ महीना पीछू उन लहुट के भारत आ गे। दू बछर पीछू वो अंग्रेज वन अधिकारी के अउ स्थानांतरण होगे, फेर ओकर जाए के पीछू मनीराम जऊन करीस वो हँ इतिहास बनगे।
गिधपुरी जंगल जऊन आज देवपुर फारेस्ट रेंज (बलौदाबजार वनमंडल) म आथे अउ बार नवापारा वन्यजीव अभ्यारण्य ले लगे हवय। उहाँ साल के जंगल के बड़े जनिक हिस्सा कटई के सेति उजार परगे रिहिस हे। मनीराम अपन सुआरी संग मिलके उहाँ पौधा लगाए के निश्चय करीस ताकि वो खाली जगा फेर हरिया जाय। बताथे कि उही पइत संजोग ले बर्मा ले लहुटे एक झिन बयपारी संग उन्कर भेंट होइस। वो हँ मनीराम ल सैगोन पेड़ लगाए के सुझाव दिस अउ बीजा तको उपलब्ध करवाइस। बीजा ल मनीराम हँ पहिली सैगोन के बिरवा म बदलिस फेर इंग्लैंड म सीखे ‘रुट शूट’ पौधारोपण विधि के उपयोग करत 23 एकड़ क्षेत्र म सैगोन लगा डरिस। वो समे जब पौधारोपण के कोनो स्पष्ट नीति नइ बने रिहिस हे, मनीराम हँ 1891 म इहाँ ऊँच तकनीक ‘रुट शूट प्लांट पद्धति’ ले सैगोन लगा दे रिहिस हे। ये सैगोन पौधारोपण भारत भर म नहीं भल्कुन जम्मो एशिया के पहला सैगोन पौधारोपण रिहिस हे।
फेर नियति ल कुछु अउ मंजूर रिहिस हे। वनपुत्र के ये ‘हरित कथा’ दारुण दुःख म बदलगे। पीछू अवइया अंग्रेज अधिकारी हँ गिधपुरी जंगल म ये सैगोन पौधारोपण ल लेके विभागीय अनुमति के कागजात खोजीस त अइसन कोनो कागज नइ मिलिस। जबकि मनीराम हँ ये पौधारोपण भावनावश करे रिहिस हे। विभाग हँ ये बूता ल गैरकानूनी मानिस अउ मनीराम ल बर्खास्त कर दिस।
मनीराम ऊपर एकर नंगत बुरा प्रभाव परिस। वो आहत होके बइहा मन बरोबर इहाँ-उहाँ भटके लगिस। पीछू उन्कर मऊत होगे। स्थानीय गँवइहा मन के दैवीय विश्वास के अनुसार ओकर आत्मा जंगल अउ गाँव म भटकत रिहिस हे। बैगा मन ओकर आत्मा के शांति बर मनीराम पौधारोपण के एक ठो बर पेड़ तरी पथरा ल मूर्ति बनाके थापित कर दिन अउ सबो तिहार -बार म ओकर पूजा होए लगिस। आज ले वो जगा म मनीराम के पूजा होथे।
मनीराम के ये योगदान ल प्रशासन हँ संज्ञान म लिस अउ 1996-97 म तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार हँ मनीराम के नाती प्रेमसिंह ल 10 एकड़ जमीन अउ 50 हजार रुपिया देहे के घोषणा करीस। ओइसनेहे जून 2018 म छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पौधारोपण के क्षेत्र म उल्लेखनीय कार्य करइया ल ‘मनीराम गोंड स्मृति हरियर मितान’ नाम से राज्यस्तरीय सम्मान के स्थापना करीस। आज मनीराम के वंशज मन ल वो जमीन के मालिकाना हक मिले हे कि नहीं, ये पता नइ हे, काबर कि खबर के अनुसार 2017 तक मनीराम के नाती प्रेमसिंह के तको मृत्यु हो चुके हे। उन्कर सुवारी हीराबाई ल शासन द्वारा प्रदत्त जमीन नइ मिले रिहिस हे।
समय अपन चाल म चलत रहिथे। पीछु जुवार वन विभाग ह उन्कर प्रति कृतज्ञता देखावत ये प्लांटेशन के नामकरण मनीराम जी उपर कर दिस। आज 23 एकड़ के सिरिफ एक एकड़ जगह म ही मनीराम के लगाए सागौन बहुते कम संख्या म बाचे हे। ये दुर्लभ अउ जुन्ना पेड़ मन के मोटाई पौने तीन मीटर तक हावय अउ ये अपन वजन ल अउ कतेक दिन सम्भाल सकही या कब तक सुरक्षित रहिही, कुछु नइ कहे जा सकय। जइसन कि बाकी पेड़ समय के मार ले खत्म होगे हवय। ये पेड़ ज्यादा दिन तक नइ रही पाही, अइसे आशंका हे। ये प्लांटेशन के बारे म आज भी लोगन ल जादा जानकारी नइ हे। ये बाचे पेड़ ल संरक्षित करे के उपाय के संगे-संग ये प्लांटेशन स्थल ल पर्यटन स्थल के रूप म विकसित करना अउ ये प्लांटेशन के पर्यावरणीय अउ ऐतिहासिक महत्व ल पुस्तक म ठिहा देना होही।
रुट शूट के भारत म प्रणेता मनीराम आज नइ हे, फेर देश म उन्कर सागौन रोपणी पद्धति के ही अनुसरण करे जाथे। जतेक सागौन पेड़ भारत म हे, वो उही रुट शूट पद्धति ले रोपे गे हवय, जेकर शुरूआत मनीराम ह करे रिहिस हे। ये जम्मो मामला म एक लोकव्यवहार येहू निकलके आथे कि जउन मनीराम के कदर तत्कालीन वन विभाग नइ कर सकीस, ओला गाँव वाले मन ह वनदेवता बना दिन। 5 जून के पर्यावरण दिवस मनाथन तो, फेर ‘वनदेवता’ मनीराम ल नमन करे बर भूला गे हवन। कहूँ वन देवता के प्रति हमर सहीच के श्रद्धा रहितिस त हसदेव के संकट आगू म खड़ा होके सुरसा कस हाँसे नइ लगतिस। ‘मनी प्लांट’ के पीछु भगइया हो, मनीराम बनौ, आज धरती कलपत हे – हसदेव आ मनीराम !
जय जोहार !
धर्मेन्द्र निर्मल