प्रसिद्ध रंगकर्मी अउ निर्देशक श्री मनीष दत्त के निधन, अपूरणीय क्षति

देशभर में मान बढ़ाय बर हमेशा याद करे जांहि श्री मनीष दत्त। तंगहाली म घलो सादगी जीवन जीयत रहिन् रंगमंच कर्मी दत्त जी। प्रसिद्ध लेखिका महादेवी वर्मा के  सलाह म रंगकर्मी मनीष दत्त ह बिलासपुर म काव्य भारती के स्थापना करिन।

महज 12 बरस के उमर से शुरू होए रंगमंच के सफर आज जीवन खतम होत ले  चलीस। बिलासपुर के बंगाली परिवार म जन्मे मनीष दत्त ल लालबहादुर स्कूल म पढ़ाई के दौरान जयदेव नाटक म अभिनय के मौका मिलिस। मनीष दत्त देशभर के रंगकर्मि के संग मे दादा के नाम से पहचाने जाथे । दत्त दादा हं हिंदी व दूसर भाखा के करीब दो हजार से ज्यादा साहित्यिक गीत अउ कविता मन ला स्वरबद्ध करिन हावंय। साल1987 म रिकाॅर्ड करे अमरबेला आज ले आकाशवाणी म बाजथे। महान कवयित्री महादेवी वर्मा के सलाह म ओमन काव्य भारती संस्था बनाइन। दो कमरा के कच्चा मकान, टूटा-फूटा कुछ कुर्सि, किनारे रखे टेबल पंखा, एक टेबल म सलीके से सजे अखबार, कुछ किताब, अंदर के कमरा म एक हिलत-डुलत दीवान, खप्पर के छानी वाले कमरा म झांकत सूरज के रोशनी। अइसन घर म रंगमंच के निराला याने वरिष्ठ रंगकर्मी मनीष दत्त रहत रहिन। मिट्टी के दीवार म टंगे प्रमाण-पत्र बतात रहिन कि येहाँ कोई उम्दा शख्सियत रहिथे। लोगन मन अब दत्त दादा के नाम ल नई भुलावैं।

बिलासपुर म पीडब्ल्यूडी इंजीनियर सलिल कुमार दत्त के यहां 10 मई 1940 के जन्में मनीष दत्त के असल नाम सुनील दत्त रहिस। ददा ह सुग्घर पढ़ाई बर छत्तीसगड़ के सबसे नामी लालबहादुर शास्त्री स्कूल म दाखिला करवाय रहिन। 12 साल के उमर म जयदेव नाटक म अभिनय के मौका दत्त साहब ल मिलिस।  बाद मे चढीस रंगमंच के जुनून आज तक नहीं उतरे रहिस। 16 साल के उम्र म ओमन संकल्प लिन कि हिंदी गीत-कविता ल स्वरबद्ध कर जन-जन तक पहुंचाना है। बकौल दादा, बंगाल म गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगाेर, नजरूल इस्लाम, डीएल राय सहित अन्य रचनाकार मन ला  एहाँ के लोगनमन गर्व के साथ गात रथे।एहि सोच के साथ हिंदी रचना ल स्वरबद्ध करे के शुरुआत करिन शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेके 1978 म करिन काव्य भारती की स्थापना, सैकड़ों मंचन करे मनीष दत्त ह सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, फणीश्वर नाथ रेणु, महादेवी वर्मा जैसन महान साहित्यकारमन से मुलाकात करिन। 1960 में नाट्य भारती संस्था के स्थापना करके नाटक के साथ गीत-कविता म घलो कार्यक्रम के शुरुआत करिन। ओइ दौरान निराला के अपरा, नये पत्ते, अणिमा, बेला जैसन म नृत्य-संगीत रूपक प्रस्तुत करिन। संस्था से जुड़े कलाकार मन  प्रसाद, पंत, जायसी, महादेवी, निराला सहित सैकड़ों साहित्यकार के रचना मं प्रस्तुति करिन।

महादेवी वर्मा के कहे म जनवरी 1978 में काव्य भारती की स्थापना करिन। संस्था ल 1979 में खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय से संबद्धता मिलीस्। तब से लेकर आज तक हजारों कलाकार मन संस्था ले जुडिन अउ नृत्य-संगीत के शिक्षा लीन। साल में एक मंचन होत रहिस तनवीर के रंगमंच के जाने-माने नाम हबीब तनवीर दादा के बुलाव म कई बार बिलासपुर आ चुके हावय। सामान्य, लेकिन प्रभावी मंच म हबीब अउ ओमन के टीम ह कई नाटक के मंचन करिन। बिलासपुर के देवकीनंदन दीक्षित भवन, रेलवे इंस्टीट्यूट म मंचन के अलावा हबीब, दादा के साथ 90 के दशक में बैमा-नगोई जैसन गांव तक गे रहिन। मनीष दत्त ह  हिंदी अउ अन्य भाखा के 2000 से ज्यादा गीत स्वरबद्ध करे हावय। सैकड़ों नाटक अउ संगीत रूपक के मंचन करे रहिन।

गुरतुर गोठ संवाददाता दिलीप बसंत, मुंगेली

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