मनरेगा ले बने नहर ले किसान मन बर बनिस बरदान

कबीरधाम, 16 जुलाई 2021। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) ले बने नहर ह महीडबरा के किसान मन बर बरदान बन गए हे। ए नहर मन के माध्यम ले अब महीडबरा जलाशय के पानी गांव के 80 किसान मन के 75 हेक्टेयर जमीन तक पहुंचही। सिंचाई के साधन के अभाव म केवल खरीफ के मौसम म कोदो-कुटकी उपजइया आदिवासी बहुल गांव महीडबरा के किसान मन बर रबी के फसल मन के बारे म सोचना घलोक कभी दूर के कौड़ी होत रहिस। अब मनरेगा ह अब ऊंखर खेत मन तक पानी पहुंचाए के व्यवस्था कर दीस।
कबीरधाम जिला के बैगा आदिवासी बाहुल्य पंडरिया विकासखण्ड के सुदूर वनांचल क्षेत्र के महीडबरा म सिंचाई बर न तो नहर-नाली बने रहिस अऊ न ही कोनो नरवा (बरसाती नाला) बहत रहिस। उहां महीडबरा नाम ले ही एक जुन्ना जलाशय जरूर हे, फेर सिंचाई बर कोनो नहर-नाली के संरचना एखर से नइ जुड़े रहिस। गांव के किसान बहुत दिन ले ये जलाशय के पानी खेत मन तक पहुंचाना चाहत रहिन, जेखर से ओ मन अपन खेत मन ल घलोक एक-फसली ले दू-फसली म बदल सकयं। गांव वाले मन के ये मांग साल 2020-21 म पूरा होइस जब मनरेगा ले 14 लाख 66 हजार रूपिया के लागत के महीडबरा जलाशय ले मुख्य नहर विस्तारीकरण अऊ दू माइनर नहर के निर्माण के काम स्वीकृत होइस। तकनीकी तौर म घलोक ये काम बने सहिन हो सकय, एखर खातिर जल संसाधन विभाग ल क्रियान्वयन एजेंसी बनाए गीस।
फरवरी-2021 म नहर निर्माण के काम शुरू होइस। स्थानीय किसान मन म एखर प्रति उत्साह ये कदर रहिस कि नहर विस्तारीकरण म जिहां-जिहां शासकीय जगा के कमी होइस, उहां-उहां संबंधित किसान मन ह अपन निजी जमीन के कुछ हिस्सा स्वेच्छा ले दे दीन। ये काम म 1455 मनरेगा श्रमिक मन ल 6403 मानव दिवस के सीधा रोजगार मिलीस। एखर एवज म ओ मन ल 12 लाख 21 हजार रूपिया के मजदूरी भुगतान करे गीस। काम के अच्छा गुणवत्ता बर जरूरत के मुताबिक दू लाख 39 हजार रूपिया सामान मद म घलोक व्यय करे गीस।
मनरेगा श्रमिक मन ह सरलग 12 हफ्ता तक काम करके 1800 मीटर लंबा मुख्य नहर विस्तारीकरण अऊ माइनर नहर मन के निर्माण काम पूरा करिन। ये साल अपरेल म नहर के तियार हो जाय के बाद महीडबरा जलाशय ले पानी छोड़े गीस जेन 80 किसान मन के करीब 75 हेक्टेयर रकबा म पहुंचिस। रबी सीजन म पहली पइत अपन खेत तक पानी पहुंचत देखके किसान अड़बड़ खुश होइन। सिंचाई के साधन नइ होए ले जऊन किसान अब तक केवल वर्षा आधारित खरीफ के फसल ले पात रहिन, ओ मन अब रबी के फसल घलोक ले सकहीं। एखर से उंखर खुशहाली अऊ समृद्धि के रद्दा घलोक खुलही।

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