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मनरेगा म सामरथ मुताबिक रोजगार ले 15 हजार नवा श्रमिक मन ल मिलीस मदद

कोरिया, 27 नवंबर 2020। कोरोना महामारी के बेरा म पलायन करे श्रमिक मन बर घर वापस आना एक कठिन चुनौती ले कम नइ रहिस, ओ बेरा म श्रमिक मन बर रोजगार के घलोक संकट खड़े रहिस। ये कठिन समय म महात्मा गांधी नरेगा योजना ह श्रमिक मन के सहारा बने हे। जानबा हे के सितम्‍बर महिना के रिपोट के मुताबिक कोरिया जिला म सबले जादा श्रमिक मन ल 100 दिन रोजगार उपलब्‍ध कराए म प्रदेश म पहिली जगा म पहुच गए हे।
अभी हाल म कोरिया जिला म एक लाख 12 हजार 631 पंजीकृत श्रमिक परिवार हे जे मन ल जाब कार्ड देहे गए हे। 2 लाख 25 हजार 10 श्रमिक महिला-पुरूष अकुशल श्रमिक के रूप म दर्ज हें। लॉकडाउन के समय तीन महीना म ही जिला म कुल 6 हजार 932 परिवार मन ल उंखर जरूरत अऊ मांग के मुताबिक जाब कार्ड जारी करके महात्मा गांधी नरेगा के तहत जोड़े गए हे। जारी करे गए ए जाब कार्ड मन म 15 हजार 731 कि ल जोड़े गए हे। लॉकडाउन के बेरा म तीन महिना के समय 80 हजार 833 परिवार मन ह काम के मांग करत मनरेगा के तहत रोजगार के गारंटी पाइन।
कोरिया जिला के सुदूर वनांचल जनकपुर के श्री दशरथ ह सूरत के कपड़ा मिल म सामान्य श्रमिक के रूप म काम करत रहिस। लॉकडाउन अऊ महामारी के संकट म खुद ल असहज पाके वो जइसे तइसे वापस अपन गृहग्राम नौढ़िया पहुंचिस। दशरथ के बताती वो जब घर आवत रहिस त ओ ल रोजगार के चिंता सतावत रहिस, इहां आए के बाद ग्राम पंचायत के सचिव ह वोखर से मुलाकात करके काम के जानकारी लीस अऊ वोला महात्मा गांधी नरेगा के तहत जाब कार्ड निःशुल्क बनाके दीस। एखर बाद दशरथ ह काम करे के इच्छा जताईस अऊ वोला गांव म ही दू हफ्ता के अकुशल श्रम काम म काम देहे गीस।
लाकडाउन के बेरा म ही अपन गांव म काम मिले ले रोजगार के संकट ले मुक्‍त होके दशरथ अब गांव म ही खेती करके खुश हे अऊ राज्य शासन के प्रति आभार व्यक्त करत हे। कुछ अइसनहे वाक्या ग्राम पंचायत देवगढ़ के रहइया श्री सुग्रीव के संग घलोक होइस। उहू सूरत म अकुशल श्रमिक के रूप म लंबा समय ले काम करत रहिस। जइसनहे कोरोना संकट के आहट होइस वो सबकुछ समेट के अपन गृह ग्राम लहुट आइस। गृह ग्राम पंचायत देवगढ़ म आए के बाद ग्राम पंचायत ह वोला जाबकार्ड उपलब्‍ध कराइस। काम के मांग के आधार म वोला गांवे म मनरेगा के तहत स्वीकृत तालाब गहरीकरण म दू हफ्ता के काम मिल गे। बारिश बने होए ले अपन खेत मन म धान के बने फसल लगाके निसफिकर होके वो ह अपन जीवन गांव म परंपरागत तरीका ले गुजारत हे। अइसनहे देश के अलग अलग राज्य मन ले अवइया कोरिया जिला के मूल निवासी मन ल अपन गांव आए म मनरेगा के तहत निःशुल्क जाब कार्ड बनाके देहे गए हे जेखर से ऊंखर 100 दिन के रोजगार के गारंटी बन गए हे। अइसनहे कहानी बहुत अकन युवा अऊ कामगार मन के हे जऊन शासन के मदद ले अपन गांव पहुंचे हें अऊ जब उमन ल रोजगार के चिंता रहिस तब महात्मा गांधी नरेगा योजना ह उमन ल सहारा देहे हें। बहरासी म रहइया ओमप्रकाश, राजकुमारी अऊ विनोद घलोक कोरोना संकट के समय वापस अपन गांव आइन अऊ उमन ल रोजगार के तलाश म मनरेगा के आश्रय मिलीस।

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